इस तरह तय होता है मेच्योरिटी अमाउंट-
परंपरागत लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मेच्योर होने के बाद जो मेच्योरिटी अमाउंट मिलता है, उसमें दो हिस्से होते हैं। सम एश्योर्ड और दूसरा बीमा अवधि के दौरान अर्जित किया गया बोनस। बीमाधारकों को पॉलिसी मैच्योर होने पर सम एश्योर्ड के साथ बोनस की रकम भी जोड़कर मिलती है।
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सम एश्योर्ड पूरी तरह टैक्स फ्री –
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (10डी) के तहत मेच्योरिटी या बीमाधारक की मौत पर जो सम एश्योर्ड मिलता है, वह पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है। बोनस की राशि पर भी टैक्स छूट मिलती है। हालांकि टैक्स बेनेफिट हासिल करने के लिए कुछ खास शर्तें पूरी करनी जरूरी हैं।
यह है टैक्स छूट पाने का नियम-
जो पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई है, उस पर मेच्योरिटी अमाउंट पर तभी पूरी तरह टैक्स छूट मिलेगी जब इसका प्रीमियम सम एश्योर्ड के 10 फीसदी से कम हो। एक लाख रुपए सालाना प्रीमियम दे रहे हैं तो टैक्स छूट के लिए न्यूनतम सम एश्योर्ड 10 लाख होनाचाहिए।