एक अंग्रेजी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक सरकार सब्सिडी को खत्म करने की दिशा में बढ़ रही है। यही कारण है केरोसिन और एलपीजी के दाम में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले साल भी एलपीजी के दाम में इजाफा किया गया था। यही वजह थी कि सिलेंडर लेने वालों को सब्सिडी का ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा था। मालूम हो कि खुदरा ईंधन विक्रेता, एलपीजी सिलेंडर्स के दाम को रिवाइज करते हैं। जबकि केरोसिन को पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम के जरिए रियायत दर पर बेचा जाता है।
राजस्व प्राप्ति में आई गिरावट
15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 में जो राजस्व की प्राप्ति हुई थी वो वर्ष 2018-19 में 9.1 फीसदी की तुलना में घटकर 1.6 फीसदी पर आ गई है। जबकि केरोसिन सब्सिडी साल 2011-12 में 28,215 करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में घटकर 3,659 करोड़ रुपए पर आ गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार इस घाटे की भरपाई के लिए सब्सिडी को एक तय वक्त एवं वर्ग के लिए सीमित कर सकती है।