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Yogini Ekadashi 2024 Date: योगिनी एकादशी पर तीन शुभ योगों का संगम, जानें कब है योगिनी एकादशी, शुभ योग, महत्व, पारण समय और पूजा विधि

Yogini Ekadashi Date: निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आने वाली एकादशी योगिनी एकादशी कहलाती है। यह भगवान विष्णु के पांचवे अवतार भगवान वामन की पूजा के लिए समर्पित है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष है जो किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या से परेशान है। यह एकादशी आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में जून-जुलाई महीने में पड़ती है। साल 2024 में योगिनी एकादशी कब है, योगिनी एकादशी का महत्व और पारण समय यहां जानें (Yogini Ekadashi importance Parana time) ।

भोपालJun 21, 2024 / 07:53 pm

Pravin Pandey

Yogini Ekadashi Date july

योगिनी एकादशी 2024 की डेट पारण समय और शुभ योग

कब है योगिनी एकादशी

आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी का प्रारंभः सोमवार 1 जुलाई 2024 को सुबह 10:26 बजे
आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी का समापनः मंगलवार 02 जुलाई 2024 को सुबह 08:42 बजे बजे
योगिनी एकादशी (उदया तिथि में): मंगलवार 2 जुलाई 2024 को
योगिनी एकादशी व्रत पारणः बुधवार 3 जुलाई को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – सुबह 05:39 बजे से सुबह 07:10 बजे तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समयः बुधवार 3 जुलाई, सुबह 07:10 बजे

योगिनी एकादशी पर शुभ योग

धृति योग : सुबह 11:17 बजे तक
त्रिपुष्कर योगः 2 जुलाई को सुबह 08:42 बजे से 3 जुलाई को सुबह 04:40 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 2 जुलाई सुबह 05:38 बजे से 3 जुलाई सुबह 04:40 बजे तक

अशुभ योग

शूल ः 3 जुलाई सुबह 9.02 बजे तक (शुरुआत की 5 घटी अशुभ है)

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योगिनी एकादशी का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप कट जाते हैं। इसके प्रभाव से जीवन में सुख समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।

योगिनी एकादशी पूजा विधि

  1. योगिनी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से ही हो जाती है। इस दिन की दूसरी बेला से ही अनुशासन, ब्रह्मचर्य का पालन शुरू कर देने चाहिए और रात में भी भोजन नहीं किया जाता। बहुत जरूरी होने पर भी तामसिक भोजन को तो हाथ ही नहीं लगाना चाहिए।
  2. दशमी की रात जमीन पर ही सोएं और प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प लें।
  3. पुष्प, धूप, दीप आदि से योगिनी एकादशी आरती उतारें, इस दिन स्वयं पूजा करें या किसी विद्वान ब्राह्मण से करा लें।
  4. कुंभ स्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति रखें और उनकी पूजा करें। भगवान नारायण और वामन अवतार की मूर्ति को स्नान कराकर मंत्र जाप करें, आरती करें, भोग लगाएं।
  5. दिन में योगिनी एकादशी की कथा सुनें और दान कर्म करें।
  6. पीपल के पेड़ की पूजा करें और रात में जागरण कर कीर्तन करें, दुर्व्यसनों से दूर रहें और सारा समय प्रभु के ध्यान में लगाएं।
  7. अगले दिन पारण समय में फिर स्नान, ध्यान पूजा कर किसी ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराकर, दक्षिणा देकर व्रत तोड़ें।

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