गुरु नानक जंयती (Guru Nanak Jayanti)
सिख धर्म के लोग इस पर्व का बड़े ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्योकि इस तिथि पर गुरु नानक जंयती का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को गुरु पूरब या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुरद्वारों को सजाया जाता है और हर जगह बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। इसके साथ ही इस दिन गुरद्वारों में भजन और कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। साथ ही गुरु नानक जी के संदेशों को भी याद किया जाता है। आइए जानते हैं गुरु नानक जी से जुड़े कुछ खास इतिहास के बारे में…
गुरु नानक जी का इतिहास (History Of Guru Nanak Jayanti)
सिख धर्म के प्रथम धार्मिक गुरु नानक जी थे। इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी ननकाना साहिब में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालूचन्द खत्री ब्राह्मण और माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवण्डी का नाम आगे चलकर नानक का नाम ननकाना पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था। ऐसा कहा जाता है कि सिख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने की थी। इसलिए उन्हें सिख धर्म का संस्थापक कहा जाता है। यह भी पढ़ेः वास्तु के 6 नियमों को ध्यान में रखकर ही घर में बनाएं पूजा घर बचपन में इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। लड़कपन से ही ये संसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। इनका पढ़ने लिखने में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। करीब 7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया। क्योंकि भगवत्प्राप्ति के संम्बध में इनके अध्यापक ने हार मान ली और वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए। इसके बाद वे अपना सारा समय आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे।
इनका विवाह बालपन में सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अन्तर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाली मूला की कन्या सुलक्खनी से हुआ था। इनके दो लड़के भी हुए। दोनो पुत्र के जन्म के पश्चात 1507 में नानक अपने पारिवार का भार अपने ससुर पर छोड़कर मरदाना,लहना ,बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर तीर्थयात्रा के लिए निकल पड़े। उन पुत्रों में से श्री चंद आगे चलकर उदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक हुए।
गुरु नानक जयंती का महत्व (Guru Nanak Jayanti Significance)
गुरु नानक देव जी ने सदैव मानवता, समृद्धि और सामाजिक न्याय की निस्वार्थ सेवा का प्रचार किया। उन्होंने अपने जीवन में यात्राओं के दौरान कई जगह पर डेरा जमाया। इस दौरान वह सभी को भक्ति के प्रति उपदेश देते थे और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक भी किया करते थे। इसके साथ ही उन्होनें सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया। यह भी पढ़ेः अगर आप भी अपने प्रिय देवता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो जानिए चढ़ाएं कौन सा फूल गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ था। जब कई धर्म के तत्व को समझना कठिन हो गया था। उनके द्वारा दिए गए विचार इतने शक्तिशाली थे कि आज के समय में भी उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। गुरु नानक देव की जयंती पर लंगर और कीर्तन का विशेष आयोजन किया जाता है। इस दिन सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में ले जाया जाता है। साथ ही जरूरतमंदों को भी भोजन खिलाया जाता है।
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