ज्योतिषाचार्य पं. प्रह्लाद कुमार पंड्या ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि- एक साल में चार बार नवरात्रि पर्व आते हैं, जिनमें से दो मुख्य रूप से और दो गुप्त रूप से मनाई जाती है। चारों नवरात्रियों में शारदीय आश्विन नवरात्रि का सबसे खास महत्व माना जाता है, इस समय देश के लगभग सभी छोटे-बड़ें शहरो, गांवों में माँ दुर्गा की मृतिका से बनी प्रतिमा का अस्थाई स्थापना करके पूजा आराधना की जाती है। शरद ऋतु की इस नवरात्रि को माँ दुर्गा की असुरों पर विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है, इसलिए नौ दिनों तक माँ दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरुपों की विशेष पूजा की जाती है और मूर्ति केवल मिट्टी से बनी हुई ही स्थापना करना चाहिए।
अस्थाई मूर्ति, कलश, घट की स्थापना का सटीक शुभ मुहूर्त ज्योतिषाचार्य पं. प्रह्लाद कुमार पंड्या के अनुसार 29 सितंबर को कुल 7 शुभ मुहूर्त है।
1- प्रातः 7 बजकर 48 मिनट से 9 बजकर 18 मिनट तक – चर
2- प्रातः 9 बजकर 18 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक – लाभ
3- सुबह 10 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक – अमृत
4- मध्यान्ह 1 बजकर 47 मिनट से 3 बजकर 16 मिनट तक – शुभ
5- सायंकाल 6 बजकर 19 मिनट से 46 मिनट तक – शुभ
6- रात्रि 7 बजकर 46 मिनट से 9 बजकर 46 मिनट तक – अमृत
7- रात्रि 9 बजकर 46 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक – चल