मंगलवार : दोपहर या शाम में एक बार कर लें ये महाउपाय, हनुमान जी कर देंगे वारे न्यारे
हिंदू धर्म में अनेक व्रतों में प्रदोष व्रत को सबसे प्रथम स्थान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन में हुए ज्ञात-अज्ञात पुराने से पुराने पाप के दुष्फल से मूक्ति मिल जाती है। अगर गणेश उत्सव के दौरान बुधवार के दिन बुधवारी प्रदोष हो तो उस दिन एक साथ श्रीगणेश एवं भगवान शंकर का पूजन करने से जीवन की सभी अपूर्णताएं पूर्ण होने लगती है। 11 सितंबर बुधवार को बुधवारी प्रदोष का संयोग बना है। इस दिन शिव जी व गणेश जी का पूजन ऐसे करें।
गणेश उत्सव के अंतिम बुधवार को सुबह से व्रत रखकर शाम को प्रदोष काल में स्नान करके धुले हुए वस्त्र धारण कर लें। अब घर पर ही या किसी शिव या गणेश मंदिर में जाकर एक कुशा के आसन पर बैठकर पहले गणेश जी एवं फिर शिव जी आवाहन एवं षोडशोपचार पूजन करें। गणेश जी को बेसन के मोदक एवं शिव जी को श्रीफल अर्पित करें। गणेश जी दुर्वा एवं शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ावें।
अनन्त चतुर्दशी : व्रत रखकर इस विधान से पूजा कर, अनंत धागे को धारण करने से हो जाती है मनोकामना पूरी
अब 108 बार “ऊँ गं गणपतये नम” एवं 108 बार “ऊं नमः शिवाय” इन दोनों मंत्र का जप करमाला से (अपनी उंगली गिनकर) करें। मंत्र जप पूरा होने के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश एवं भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें। भगवान को लगाएं हुए भोग प्रसाद को सभी में बांटे एवं स्वयं भी ग्रहण करें। ऐसा करने से आपकी सभी कामनाएं पूरी होने लगेगी।
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