वहीं नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, ऐसे में इस बार घटस्थापना के मुहूर्त के संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि इस बार यह मुहूर्त गुरुवार, अक्टूबर 7 को 06:16:48 AM से शुरु होकर 07:06:52 AM तक रहेगा। वहीं इस दौरान अभिजीत मुहूर्त 11:22 AM से 12:09 PM तक रहेगा।
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना ईशान कोण में की जाती है।घटस्थापना के तहत एक मिट्टी के बर्तन में सबसे पहले सप्त धान्य रखें, इसके पश्चात एक कलश में जल भरें और उसे एक रस्सी की मदद से मिट्टी के पात्र पर रख दें। फिर कलश के ऊपर पत्ते रखें, और पत्तों के बीच में रस्सी पर नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें। जिसके बाद कलश पूजा करें और फिर गणेश वंदना के बाद देवी का आह्वान करें।
घटस्थापना के लिए जरूरी सामग्री में चौड़े मुंह का मिट्टी का एक बर्तन,सप्त धान्य,कलश,पवित्र मिट्टी,जटा वाला नारियल,जल,आम या अशोक के पत्ते,लाल वस्त्र,सुपारी, पुष्प व साबुत चावल आदि शामिल हैं।
वहीं हल्दी, कुंकू, गुलाल, रांगोली, सिंदूर, कपूर, जनेऊ, धूपबत्ती, निरांजन, पूजा के पान, हार-फूल, पंचामृत, गुड़ खोपरा, खारीक, बदाम, सिक्के, पांच प्रकार के फल, चौकी पाट, कुश का आसन, नैवेद्य आदि भी घटस्थापना की सामग्री में शामिल हैं।
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इसके अलावा नवरात्रि का पारण इस शारदीय नवरात्रि का पारण शुक्रवार 15 अक्टूबर के दिन 06:21:56 के बाद किया जाएगा।
घट स्थापित करने व पूजा की सरल विधि
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन पवित्र होने के पश्चात घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर उसमें जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछाने के बाद एक बार फिर जौ डालें। इसके बाद पुन: मिट्टी की परत बिछाकर इस पर जल छिड़कें। इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
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– अब जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखते हुए उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं और घट के गले में मौली बांधे। इसके बाद एक तांबे के कलश में पवित्र जल लें और उसके ऊपरी भाग पर पतली सी रस्सी बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में रस्सी बांधकर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रखें।
इसके बाद अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। फिर गणेश वंदना के पश्चात देवी का आह्वान करें। साथ ही देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’
– आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।