दीपावली के 5 दिवसीय पर्व के पहले दिन धनतेरस के बाद यानि दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, इसे रूप चौदस या काली चौदस भी कहा जाता हैं। जबकि इसके बाद दीपावली तीसरे दिन, चौथे दिन गोवर्धन पूजा व पांचवें यानि आखिरी दिन भाई दूज मनाया जाता है। वहीं कृष्ण चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाती है। तो आइये जानते हैं इसकी खास विधि और मुहुर्त…
नरक चतुर्दशी 2022 स्नान विधि :
1. ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व उठकर नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन ऐसा करने से रूप में निखार आने की मान्यता है। नरक चतुर्दशी के दिन स्नान के लिए एक तांबे के लौटे में जल भरकर कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन रखा जाता है और फिर लौटे के जल को स्नान के जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
2. स्नान से पूर्व इस दिन तिल के तेल से शरीर की मालिश करने के बाद औधषीय पौधा अपामार्ग अर्थात चिरचिरा को सिर के ऊपर से गोल गोल 3 बार घुमाने की भी मान्यता है।
3. स्नान के बाद इस दिन दक्षिण दिशा की ओर (जिसे यमराज की दिशा माना जाता है) हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने का भी विधान है। ऐसा करने के संबंध में मान्यता है कि इससे पूरे साल में किए पापों का नाश होता है।
नरक चतुर्दशी 2022 पर क्या करें :
1. नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर यमराज के लिए तेल का दीया लगाया जाता है।
2. नरक चतुर्दशी को शाम के समय सभी देवताओं की पूजा के बाद घर की चौखट के दोनों ओर तेल के दीपक जलाकर रखा शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से लक्ष्मीजी का घर में वास होता है।
3. माना जाता है कि सौंदर्य की प्राप्ति के लिए नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
4. इसके अलावा नरक चतुर्दशी पर अर्धरात्रि के समय (निशीथ काल ) घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए। माना जाता है कि इससे दरिद्रता का नाश हो जाता है।
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि :
1. नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, रामदूत हनुमान और भगावन वामन की पूजा करने का विधान है।
2. इस दिन घर के ईशान कोण में ही पूजा करनी चाहिए। वहीं पूजा के दौरान अपना मुंह ईशान कोण, पूर्व या उत्तर की ओर रखना चाहिए। इस पूजन के दौरान पंचदेव की स्थापना अवश्य करें। पंचदेवों में श्रीगणेश, भगवान विष्णु, देवी मां दुर्गा, भगवान शिव और सूर्यदेव आते हैं।
3. 6 देवों की इस दिन षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। यानि इनकी 16 क्रियाओं से पूजा करना उचित माना जाता है। षोडशोपचार पूजा में पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार शामिल होते है। वहीं सांगता सिद्धि के लिए पूजन के अंत में दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
4. इसके पश्चात सभी देवों के सामने धूप, दीप जलाएं। इसके पश्चात उनके मस्तक पर हलदी कुंकूम, चंदन और चावल लगाएं। और फिर उन्हें हार और फूल पहनाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना श्रेष्ठ माना जाता है। षोडशोपचार की समस्त सामग्री से इसी तरह पूजा करें। वहीं पूजा के दौरान उनके मंत्र का भी जाप करें।
5. पूजा के पश्चात प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। यहां इस बात को निश्चित कर लें कि प्रसाद या नैवेद्य (भोग) में नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही हर पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
6. अंत में सभी देवों की आरती कर पश्चात नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन करें।
7. मुख्य पूजा के बाद प्रदोष काल में मुख्य द्वार या आंगन में दीये जलाएं। इनमें से एक दीया विशेषकर यम के नाम का भी जलाएं। वहीं रात्रि के दौरान घर के सभी कोने जहां विशेषकर अंधेरा रहता हो वहां अवश्य दीए जलाएं।
तो आइये जानते हैं कि इस साल यानि 2022 का ये पर्व क्यों है खास, साथ ही जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त व वह बातें जो आप जानना चाहते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार रविवार 23 अक्टूबर को 06:03 PM के बाद से चतुर्दशी तिथि शुरु हो जाएगी जो ,24 अक्टूबर 2022 को 05:27 PM तक रहेगी, इसके बाद अमावस्या लग जाएगी। यानी साल 2022 में छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली पर्व एक साथ मनाया जाएगा। यहां ये समझ लेना अति आवश्यक है कि पंचांग भेद के चलते समय या तिथि में आगे पीछे हो सकता है। वैसे उदया तिथि के आधार पर 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
नरक चतुर्दशी का मुहूर्त-
अभ्यंग स्नान समय :05:06:59 से 06:30:12 तक अवधि :1 घंटे 24 मिनट
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त 11:19 AM से 12:05 PM
अमृत काल मुहूर्त 08:40 AM से 10:16 AM
विजय मुहूर्त 01:36 PM से 02:21 PM
गोधूलि मुहूर्त 05:12 PM से 05:36 PM
सायाह्न संध्या मुहूर्त 05:23 PM से 06:39 PM