पत्रिका.कॉम के इस लेख में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. अमर अभिमन्यु डब्बावाला से हम जानेंगे हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक महीनों के नाम और उनका महत्व। साथ ही यह भी कि किस महीने में कौन से देवी-देवता की उपासना की जाती है। हिन्दु पंचांग के मुताबिक इस बार 22 मार्च 2023, बुधवार से हिन्दु नववर्ष संवत्सर 2080 का शुभारंभ होगा। नव संवत्सर का नाम नल होगा। बुध ग्रह इसके अधिपति होंगे। साथ ही शुक्र ग्रह इसके मंत्री रहेंगे। आपको बता दें कि इस बार दो महीने का सावन माह होगा। इस हिसाब से इस बार 13 महीनों का साल होगा। वहीं हिन्दु नववर्ष के पहले दिन 2 राजयोग अर्थात बुधादित्य और गजकेसरी राजयोग का निर्माण भी हो रहा है।
हिन्दू महिनों के नाम
1.चैत्र
2.वैशाख
3.ज्येष्ठ
4.आषाढ़
5. श्रावण- इस बार 60 दिन चलेगा यह माह।
6.भाद्रपद
7.आश्विन
8. कार्तिक
9.मार्गशीर्ष
10. पौष
11.माघ
12.फाल्गुन
ये भी पढ़ें: Bhutdi Amavasya: इस बार शुभ संयोगों में पड़ रही है भूतड़ी अमावस्या, जानें इसका भूतों से क्या है संबंध…?
Significance of the Month according to it’s relation with God and Goddess
1. चैत्र –हिंदू कैलेंडर के पहले माह यानी चैत्र माह में सूर्यदेव, भगवान राम और हनुमानजी की पूजा के साथ ही माता दुर्गा की पूजा की जाती है। इसी माह में चैत्र नवरात्रि का व्रत भी रखा जाता है।
2. वैशाख- वैशाख माह में भगवान नृसिंह, भगवान परशुराम, मां गंगा, चित्र गुप्त, भगवान कूर्म की पूजा भी की जाती है। वहीं माना जाता है कि इसी माह के शुक्ल पक्ष की नवमीं को श्री सीताजी ने जन्म लिया था।
3. ज्येष्ठ- हिंदु कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ है। ज्येष्ठ में मुख्य रूप से मां गंगा, मां धूमावती, गायत्री माता और शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है।
4. आषाढ़- हिंदु कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ है। आषाढ़ में श्रीहरि विष्णु के साथ ही वामन पूजा की जाती है। इसी माह में देव सो जाते हैं। वहीं इसी माह में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है।
5. श्रावण- हिंदु कैलेंडर का पांचवा माह है श्रावण या सावन। श्रावण के इस माह में भगवान शिव की पूजा का विधान बताया गया है। यह पूरा माह भगवान शिव को समर्पित माना गया है। इस बार सावन का माह दो महीने तक रहेगा।
6. भाद्रपद- हिन्दु कैलेंडर का छठा महीना भाद्रपद माना गया है। भाद्रपद में गणेश उत्सव मनाए जाने के साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस माह गणेशजी और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। वहीं इसी माह में श्रीराधा की पूजा भी की जाती है। दरअसल भाद्रपद में ही उन्होंने भी जन्म लिया था।
7. आश्विन- हिंदु कैलेंडर के मुताबिक 7 वां महीना आश्विन माह कहलाता है। यह महीना देवी और शक्ति की उपासना का महीना माना जाता है। एक ओर जहां इस माह में शारदीय नवरात्रि के व्रत रखे जाते हैं। वहीं इसी माह में श्राद्ध पक्ष रहने के कारण पितृदेव की पूजा भी की जाती है। ध्यान रहे कि भाद्रपद की पूर्णिमा से ही श्राद्धपक्ष प्रारंभ हो जाता है।
8. कार्तिक- कार्तिक माह हिन्दु कैलेंडर का 8वां महीना है। यह महीना देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। इसी माह को भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने का समय माना गया है। इसके साथ ही इसी माह में दीपवाली के दिन महालक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। इस दौरान कुछ राज्यों में माता कालिका की भी पूजा की जाती है। इस माह में धनवंतरि देव, कुबेर, यमदेव, चित्रगुप्त, श्रीकृष्ण आदि की पूजा किए जाने का भी विधान है।
9. मार्गशीर्ष- हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक मार्गशीर्ष नवां महीना माना गया है। मार्गशीर्ष माह में गीता जयंती होती है। इस माह में श्रीकृष्ण, भगवान दत्तात्रेय, सत्यनारायण भगवान की पूजा, पितृदेव की पूजा, भैरव पूजा आदि का विधान माना गया है।
10. पौष- हिंदु कैलेंडर के मुताबिक दसवां महीना है पौष का महीना। दसवें माह में भगवान विष्णु और सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना गया है।
11. माघ- हिन्दु कैलेंडर के मुताबिक माघ माह साल का 11वां महीना है। इस माह में भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ ही सूर्यदेव की पूजा का विधान माना गया है। मान्यता है कि इस माह में भगवान माधव की पूजा करने से श्रद्धालुओं को राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। इस माह में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस माह में माता दुर्गा के 10 महारूपों अर्थात दस महाविद्याओं की पूजा करने का विधान भी है।
12. फाल्गुन- हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल का 12वां या अंतिम महीना है फाल्गुन। इस माह में प्रह्लाद और नृसिंह भगवान की पूजा के साथ ही शिवजी और कामदेव की भी पूजा किए जाने का विधान है। इसी माह में माता सीता की पूजा भी की जाती है। दरअसल माना जाता है कि इसी माह की अष्टमी तिथि में उनका जन्म हुआ था। इस माह में महाशिवरात्रि रहने के अलावा श्रीराधा और कृष्ण की पूजा किए जाने का विधान है।