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अक्षय तृतीया को इसलिए कहते हैं कभी क्षय न होने वाली तृतीया, जानें महत्व

इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 26 अप्रैल को मनाया जाएगा

Apr 12, 2020 / 06:55 pm

Shyam

अक्षय तृतीया को इसलिए कहते हैं कभी क्षय न होने वाली तृतीया, जानें महत्व

अक्षय तृतीया को इसलिए कहते हैं कभी क्षय न होने वाली तृतीया, जानें महत्व

इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 26 अप्रैल को मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पर्व होता है। इस दिन किए गए कार्य का फल कभी न क्षय न होने वाला है। इस दिन लक्ष्मी नारायण को सफेद पुष्प अर्पित करने से होती है अक्षय धन की प्राप्ति। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्म संस्कृति और अक्षय तृतीय एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं, इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। इस दिन व्रत पूजन से अक्षय धन की प्राप्ति होती है।

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हिन्दू धर्म संस्कृति के अनुरूप अक्षय तृतीया

1- अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समुद्र या गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की शांत चित्त होकर विधि विधान से पूजा करना चाहिए।

2- नैवेद्य प्रसाद में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल आदि का भोग लगाना चाहिए।

3- फल, फूल, बरतन एवं वस्त्र आदि का दान वेदपाठी सतपात्र ब्राह्मणों को देने का विधान है।

4- अक्षय तृतीया के दिन बटुक ब्राह्मणों को भोजन करवाना कल्याणकारी माना जाता है।

5- मान्यता है कि इस दिन जौ गेहूं एवं चना मिश्रित सत्तू अवश्य खाना चाहिए।

6- इस दिन नए वस्त्र और आभूषण पहनने से धन वैभव के साथ मान सम्मान की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया को इसलिए कहते हैं कभी क्षय न होने वाली तृतीया, जानें महत्व

7- अक्षय तृतीया तिथि वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ का दिन होता है।

8- अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे नये मिट्टी के घड़े, कुल्हड़। सकोरे, पंखे, खड़ाऊं, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि का दान करना अत्यंत लाभकारी एवं पुण्यकारी माना गया है।

9- अक्षय तृतीया के दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएं स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी।

10- अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल पुष्प से करने पर आजीवन अक्षय धन की प्राप्ति हो है।

।। सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।।

।। दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत् ।।

11- अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है।

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