हिंदू धर्म में हिंदू कैलेंडर का आखिरी माह फाल्गुन काफी पावन माना गया है। इस माह महाशिवरात्रि से लेकर होली आदि मुख्य त्योहार आते हैं। 17 फरवरी 2022 से शुरु हुआ ये माह 18 मार्च तक रहेगा, इसके बाद चैत्र माह का कृष्ण पक्ष शुरु हो जाएगा। हर हिंदू माह के अलग अलग देवताओं की पूजा की तरह ही फागुन में प्रहलाद और नृसिंह भगवान की पूजा के साथ ही शिवजी और कामदेकी की भी पूजा की जाती है।
भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी-चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के रूप मेंं आता है। ऐसे में इस साल 2022 में ये तिथि मंगलवार 1 मार्च को पड़ रही है, जिसके चलते ये पर्व इस दिन मनाया जाएगा।
शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि मंगलवार, 01 मार्च की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से बुधवार, 02 मार्च की मध्य रात 01 बजे तक रहेगी। इस दौरान पंचग्रहों के संयोग से कई शुभ योग का निर्माण हो रहा हैं। पंडित उपाध्याय के अनुसार इस बार शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग रहेगा और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। जबकि परिध योग के ठीक बाद से शिव योग भी शुरू हो जाएगा। वहीं शिव पूजन के समय केदार योग का निर्माण होगा।
आमलकी / रंगभरी एकादशी का संबंध भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर से भी है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा बाबा विश्वानाथ की नगरी वाराणसी में होती है।
: एकादशी तिथि आरंभ- 13 मार्च, रविवार प्रातः 10 बजकर 21 मिनट पर
: एकादशी तिथि समाप्त- 14 मार्च, सोमवार दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर
: रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त आरंभ- 14 मार्च, दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से
: रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त-14 मार्च, दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक
: रंगभरी एकादशी उदयातिथि के अनुसार 14 मार्च को मनाई जाएगी।
– होलिका दहन,शुक्रवार 17 मार्च 2022
होली का त्योहार होलिका दहन के साथ शुरू होता है, फिर इसके अगले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल 17 मार्च 2022 को होलिका दहन होगा और 18 मार्च को होली मनाई जाएगी।
इस बार 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से शुरू होगा और रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। यानी होलिका दहन के लिए कुल मिलाकर एक घंटा 10 मिनट का समय मिलेगा।
– शीतलाष्टमी (बसोरा), शुक्रवार 25 मार्च 2022
मां शीतला का स्वरूप अत्यंत शीतल है और कष्ट-रोग हरने वाली हैं. ***** इनकी सवारी है और हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं. मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है। इनकी उपासना का मुख्य पर्व “शीतला अष्टमी” है। इस बार शीतला अष्टमी का पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा।
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– पापमोचनी एकादशी, सोमवार 28 मार्च 2022
पापमोचनी एकादशी को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु की साधना-आराधना के लिए समर्पित इस एकादशी के दिन विधि-विधान से व्रत रखने पर साधक के सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रविवार, 27 मार्च 2022 दिन रविवार को शाम 06 बजे से एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। जिसका समापन सोमवार, 28 मार्च 2022 को दोपहर 03 बजकर 55 मिनट पर होगा। वहीं उदया तिथि के चलते यह पर्व 28 मार्च 2022 को मनाया जाएगा।
पापमोचनी एकादशी पारणा मुहूर्त : मंगलवार, 29 मार्च 2022 : 06 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 43 मिनट तक
कुल अवधि :2 घंटे 28 मिनट