इसलिए लगाते हैं पंजीरी का भोग
कान्हा जी को माखन मिश्री बहुत पसंद है इसलिए उनकी हर पूजा में इनका भोग भी लगाया जाता है। लेकिन कहा जाता है कि नंदलाल को धनिया की पंजीरी का भोग भी अधिक प्रिय लगता है। आयुर्वेद विज्ञान में धनिया की पंजरी को खाने के अनेक फायदे भी बताएं गये हैं। ऐसी मान्यता है की कान्हा जी जब माखन मिश्री का सेवन अधिक कर लेते थे तो मैया यशोदा माखन मिश्री से कोई हानि न हो जाएं इसलिए रात्रि में त्रितत्व वात, पित्त और कफ में वात और कफ के दोषों से बचने के लिए धनिए की पंजीरी का प्रसाद बनाकर कान्हा को खिलाती थी। तभी से जन्माष्टमी के दिन धनिए की पंजीरी का भोग भी कान्हा जी को लगाया जाने लगा।
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धनियां पंजीरी प्रसाद
भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन प्रमुख रूप से धनियां पंजीरी का प्रसाद बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाया जाता है। वैसे इस दिन भगवान को छप्पन भोग के नैवेद्य का भोग भी लगाते हैं, लेकिन कान्हा जी को माखन मिश्री और पंजीरी बहुत पसंद है। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी पर इस विधि से बनायें धनिये की पंजीरी का भोग प्रसाद।
धनिया की पंजीरी बनाने की सामग्री
– 1 कप धनिया पाउडर
– तीन चम्मच देसी गाय का घी
– आधा कप मखाना
– आधा कप शक्कर बूरा
– दस काजू
– दस बादाम
– एक चम्मच चिरौंजी
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धनिया की पंजीरी बनाने की विधि
पंजीरी बनाने के लिए सबसे पहले कढ़ाई में 1 चम्मच घी गर्म कर लें। अब इसमें धनिया पाउडर मिलाकर अच्छी तरह से भूनकर इसमें टुकड़ों में कटे हुए मखानों को भूनकर तथा उन्हें दरदरा पीस कर डाल दें। काजू और बादाम को भी छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसमें मिला दें। इस तरह से भगवान को भोग लगाने वाली धनिए की पंजीरी तैयार। कान्हा जी को भोग लगाने के बाद आप इसे प्रसाद के रूप में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें।
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