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Bhai Dooj 2024: क्यों मनाते हैं भाईदूज का पर्व, जानिए इसके पीछे की कथा

Bhai Dooj 2024 गोवर्धन के दूसरे दिन भाईदूज का त्योहार मनाते हैं, लेकिन क्या आप जानते है क्यो मनाते हैं भाईदूज, क्या है इसकी कथा आइए जानते हैं..

जयपुरOct 30, 2024 / 07:17 pm

Diksha Sharma

Bhai Dooj 2024

Bhai Dooj 2024

Bhai Dooj 2024: भाई दूज का पर्व दीपोत्सव का आखिरी पर्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पर्व गोवर्धन पूजा के बाद मनाया जाता है। आइये जानते हैं क्यों मनाते हैं भाई दूज, पढ़िए भाई दूज की कहानी …

यम और यमुना से जुड़ी है भाई दूज की कथा(Yam Yamuna Ki Katha)

हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि पर भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं। साथ ही उसकी दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं भाई को अपने कर्तव्य निर्वहन का वादा करता है, साथ ही कोई न कोई उपहार देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह त्योहार क्यों मनाया जाता है। दरअसल भाई दूज की कथा का संबंध सूर्य देव के पुत्र यम और यमुना से जुड़ा हुआ है। आइए जानते है भाई-बहन के पावन प्रेम की कहानी के बारे में…
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भाईदूज की कथा (Bhai Dooj Kii Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और देवी संज्ञा की दो संतानें थीं। पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था। कालांतर में यमराज ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई और यमुना गोलोक में निवास करने लगीं। लेकिन यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम था। लेकिन लंबे समय से यमराज बहन से मिल नहीं पा रहे थे, यमुना भी भाई से मिलने को लेकर उदास रहती थीं। उनकी दशा की जानकारी महर्षि नारद ने यमराज को दी तो कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को यमराज के घर आ गए।
यहां यमराज को आया देख यमुना बहुत प्रसन्न हुईं और स्नान-पूजन के बाद उन्होंने यमराज के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खूब आदर सत्कार किया, भोजन कराया।
यमुना के सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो भी बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसको तुम्हारा भय ना रहे। यमराज ने यमुना को यह वरदान दे दिया और वस्त्राभूषण भी उपहार में दिए। इसके बाद यमराज अपने लोक को लौटे, उसी दिन से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन भाई-बहन को यमराज और यमुना का पूजन अवश्य करना चाहिए।
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भाईदूज की कथा (Bhai Dooj Kii Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और देवी संज्ञा की दो संतानें थीं। पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था। कालांतर में यमराज ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई और यमुना गोलोक में निवास करने लगीं। लेकिन यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम था। लेकिन लंबे समय से यमराज बहन से मिल नहीं पा रहे थे, यमुना भी भाई से मिलने को लेकर उदास रहती थीं। उनकी दशा की जानकारी महर्षि नारद ने यमराज को दी तो कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को यमराज के घर आ गए।
यहां यमराज को आया देख यमुना बहुत प्रसन्न हुईं और स्नान-पूजन के बाद उन्होंने यमराज के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खूब आदर सत्कार किया, भोजन कराया। यमुना के सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो भी बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसको तुम्हारा भय ना रहे। यमराज ने यमुना को यह वरदान दे दिया और वस्त्राभूषण भी उपहार में दिए। इसके बाद यमराज अपने लोक को लौटे, उसी दिन से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन भाई-बहन को यमराज और यमुना का पूजन अवश्य करना चाहिए।06:55 PM

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