ज्योतिष के जानकारों के अनुसार हिंदु धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। Purnima के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं।
इन दोनों प्रकार की एकादशियों का सनातन धर्म में बहुत महत्त्व है। वहीं अधिकमास या मलमास होने पर इनकी संख्या बढकऱ 26 हो जाती है।
ऐसी ही एक, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष मे पड़ने वाली एकादशी तिथि को अपरा एकादशी अथवा अजला / अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 2021 में अपरा एकादशी पर्व 06 जून को पड़ रही है।
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अपरा एकादशी व्रत को अपार पुण्य वाला माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस Ekadashi से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी 2021 का व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ – 05 जून 2021 को 04 बजकर 07 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त – जून 06, 2021 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट तक
अपरा एकादशी पारणा मुहूर्त : 07 जून 2021 को सुबह 05 बजकर 12 से सुबह 07:59 तक
अवधि – 2 घंटे 47 मिनट
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और अपार धन की प्राप्ति होती है। वहीं मनुष्य को ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगाजल से Lord Vishnu की पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी को करने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और साधक को अपार धन से संपन्न बनाती हैं, इसलिए इस एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं।
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अपरा एकादशी 2021 व्रत विधि…
: एकादशी की पूर्व संध्या को व्रती सात्विक भोजन करें।
: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म के पश्चात स्नान-ध्यान करें।
: व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी की पूजा करें।
: पूरे दिन अन्न का सेवन न करें, जरूरत पड़े तो फलाहार लें।
: शाम को विष्णु जी की आराधना करें।
: विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
: व्रत पारण के समय नियमानुसार व्रत खोलें, व्रत खोलने के पश्चात् ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।
एकादशी पूजा की सामग्री…
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति,पुष्प,नारियल,सुपारी,फल,लौंग,धूप,दीप,घी,पंचामृत,अक्षत,तुलसी दल,चंदन,मिष्ठान।
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अपरा एकादशी के दिन ये करें…
– अपरा एकादशी से एक दिन पहले यानि दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।
– एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान के बाद भगवान विष्ण का पूजन करना चाहिए। पूजन में तुलसी, चंदन, Ganga jal और फल का प्रसाद अर्पित करना चाहिए।
– व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन छल-कपट, बुराई और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन चावल खाने की भी मनाही होती है।
– विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।
अपरा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली पावन तिथि है। इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है, जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता है। पुराणों में अपरा एकादशी का बड़ा महत्व बताया गया है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जो फल गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है। जो फल कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या Badrinath के दर्शन, सूर्यग्रहण में स्वर्णदान करने से फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से मिलता है।
पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है।
भूलकर भी न करें ये कार्य…
1- रात में सोना- कहा जाता है कि एकादशी तिथि की रात को शयन नहीं चाहिए, पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति, मंत्र जप और भजन करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
2- पान खाना- एकादशी तिथि के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है, इस दिन पान खाने से व्यक्ति के मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।
3- दातून करना- एकादशी के दिन दातून (मंजन) करने की भी मनाही है ।
4- दूसरों की बुराई से बचना- एकादशी के दिन दूसरों की बुराई करना यानी की परनिंदा नहीं करनी चाहिए।
5- चुगली करना- एकादशी के दिन चुगली नहीं करनी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।
6- चोरी करना- एकादशी के दिन चोरी करना एक पाप कर्म माना गया है, चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है।
7- हिंसा करना- एकादशी के दिन हिंसा करना महापाप माना गया है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।
8- संयम रखें- एकादशी पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। साथ ही इंद्रियों पर नियंत्रण पूर्ण रूप से आवश्यक है।
9- क्रोध- एकादशी के दिन क्रोध भी नहीं करना चाहिए, क्रोध को मानसिक हिंसा कहा गया है।