पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पंचांग में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। चंद्रमा की 16वीं कला को अमावस्या कहा जाता है। इस तिथि पर चंद्रमा की यह कला जल में प्रविष्ट हो जाती है। इस तिथि पर चंद्रमा का औषधियों में वास रहता है।अमावस्या को माह की तीसवीं तिथि है, जिसे कृष्णपक्ष के समाप्ति के लिए जाना जाता है। इस तिथि पर चंद्रमा और सूर्य का अंतर शून्य होता है।
MUST READ : भारत के चमत्कारिक मंदिर: जो कोई भी महामारी आने से पहले ही दे देते हैं संकेत
सामान्य भाषा में कहे तो हिन्दू कैलेंडर से अनुसार वह तिथि जब चन्द्रमा गायब हो जाता है उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कई लोग अमावस्या को अमावस भी कहते हैं। अमावस्या वाली रात को चांद लुप्त हो जाता है जिसकी वजह से चारों ओर घना अंधेरा छाया रहता है। यह 15 दिन यानि पखवाड़ा कृष्ण पक्ष कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है।सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि पर साधना-आराधना का बड़ा महत्व माना गया है। इस तिथि पर कोई न कोई पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। इसके स्वामी पितर हैं। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितृगण सूर्यास्त तक घर के द्वार पर वायु के रूप में रहते हैं। किसी भी जातक के लिए पितरों का आशीर्वाद बहुत जरूरी होता है। ऐसे में पितरों को संतुष्ट और प्रसन्न करने के लिए इस तिथि पर विशेष रूप से श्राद्ध और दान किया जाता है।
अमावस्या तिथि मां लक्ष्मी की प्रिय तिथि है। कार्तिक मास की अमावस्या यानी दीपों का महापर्व दीपावली इसी तिथि विशेष पर मनाया जाता है। इसी तिथि पर मां लक्ष्मी की साधना-आराधना सुख-समृद्धि दिलाने वाली होती है। मान्यता के अनुसार इस तिथि पर साधना और रात्रि जागरण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। ऐसे में मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर आप भी अपने घर के घर में धन-धान्य बढ़ौतरी कर सकते हैं।
दिनांक : त्यौहार
शुक्रवार, 24 जनवरी : माघ अमावस्या
रविवार, 23 फरवरी : फाल्गुन अमावस्या
मंगलवार, 24 मार्च : चैत्र अमावस्या
बुधवार, 22 अप्रैल : वैशाख अमावस्या
शुक्रवार, 22 मई : ज्येष्ठ अमावस्या
रविवार, 21 जून : आषाढ़ अमावस्या
सोमवार, 20 जुलाई : श्रावण अमावस्या
बुधवार, 19 अगस्त : भाद्रपद अमावस्या
गुरुवार, 17 सितंबर : अश्विन अमावस्या
शुक्रवार, 16 अक्टूबर : आश्विन अमावस्या (अधिक)
रविवार, 15 नवंबर : कार्तिक अमावस्या
सोमवार, 14 दिसंबर : मार्गशीर्ष अमावस्या