14 अक्तूबर को बाइक लूट के मामले में सर्विलांस की रेंज में आए मोबाइल नंबरों की छानबीन करने के लिए एसओजी के सिपाही सुनील दुबे व सचेंद्र सिंह नवाबगंज थाना क्षेत्र में गांव पहुंचे। इसके इत्तेफाक कहिए या भगवान की मर्जी कि मोबाइल नंबर इस्तेमाल करने वाली महिला से संपर्क किया तो पता चला कि महिला राजमती कुशीनगर की रहने वाली है और सुनील दुबे भी उसके पड़ोसी जिले गोरखपुर के रहने वाले हैं। कई वर्ष तक वे कुशीनगर में तैनात थे। इस कारण सुनील ने राजवती से भोजपुरी में बातचीत की। राजमती भोजपुरी ही बोल पाती थी और जब सिपाही ने भी इस भाषा में बात की, तो उसने दस सालों से दिल के अंदर समेटा हुआ पूरा दर्द रोते-रोते बयां कर दिया। भोजपुरी भाषा पूर्वी यूपी, पश्चिम बिहार व उत्तरी झारखण्ड में बोली जाती है।
सिपाही सुनील ने उसके दर्द को समझा। सुनील ने कुशीनगर में अपने प्रयास से महिला के परिजनों से संपर्क किया व उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। परिजनों को जब राजमती के जीवित मिलने की खबर मिली तो वे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। उन्होंने बताया कि राजमती के गायब होने की सूचना पुलिस को दी गई थी। न मिलने पर परिवार ने मृत समझकर राजमती का तेरहवीं आदि संस्कार भी कर दिया था। राजमती का पति फूलेन कुशवाहा अपने तीन बच्चों के साथ फतेहगढ़ स्थित एसओजी कार्यालय पहुंचे। महिला को भी वहां बुलागा गया। पति व बच्चों ने जब राजमती को देखा तो सभी भावुक हो गए व रोने लगे। इसके बाद महिला को वे अपने साथ ले गए। वहीं नवाबगंज में जन्मे बेटे को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया गया। इस पर एसओजी प्रभारी जेपी शर्मा ने कहा कि उनकी टीम के सिपाही सुनील ने 10 साल बाद महिला को उसके बिछड़े परिवार से मिलाकर सराहनीय काम किया है।