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2013 को हुई थी मुल्ला उमर की मौत
वर्ष 2006 से अफगानिस्तान से रिपोर्टिंग कर रहीं डैम ने पांच वर्ष से ज्यादा समय तक बायोग्राफी पर काम किया और तालिबान के सदस्यों के भी इंटरव्यू लिए, जो फरवरी में डच भाषा में प्रकाशित हुआ और जल्द ही अंग्रेजी में उपलब्ध होगा। किताब के मुताबिक, मुल्ला उमर कभी भी पाकिस्तान में नहीं छिपा, जबकि अमरीका उसके पाकिस्तान में छिपने की बात मानता रहा। वह अफगानिस्तान के जाबुल प्रांत में अमरीकी सैन्यअड्डे से महज तीन मील की दूरी पर रहा करता था। इधर मीडिया संगठन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि जब्बार ओमारी से बात करने में डैम कामयाब रहीं जो उस समय मुल्ला उमर का बॉडीगार्ड बना जब उमर 2001 में तालिबान का शासन खत्म होने के बाद छिपने के लिए गया। रिपोर्ट में डैम के हवाले से कहा गया है कि ओमारी ने उमर को 2013 में बीमारी से उसकी मौत होने तक छिपाया। किताब में आगे लिखा गया है कि तालिबान के पतन के फौरन बाद मुल्ला उमर अमरीकी सैन्यअड्डे के करीब बने घर के एक सीक्रेट रूम में छिपकर रहने लगा था। अमरीका ने उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। बताया जा रहा है कि मुल्ला उमर की मौत 23 अप्रैल, 2013 को हुई।
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