प्राचीन कालीबाड़ी मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी शिवानंद महाराज का कहना है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। शिव केवल कर्मकांड या रुढ़ि नहीं है, वे तो कर्म-दर्शन का ज्ञानयज्ञ हैं। शिव आदिदेव हैं। भारतीय धर्म-दर्शन में शिव-पार्वती को समस्त विश्व का माता-पिता माना गया है। शिवभक्तों को आत्म-आनंद प्रदान करने वाली रात्रि शिवरात्रि कहलाती है। इस दिन चन्द्रमा सूर्य के निकट होता है। इस कारण उसी समय जीवरूपी चन्द्रमा का परमात्मारूपी सूर्य के साथ योग होता है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को की गई पूजा-अर्चना व साधना से जीवात्मा का विकास तथा आत्मिक शुद्धि होती है।
महाभिषेक से मिलता है मनोवांछित फल
यमुना नदी के किनारे मां पीताम्बरा मंदिर के पुजारी पंडित अजय कुमार दुबे का कहना है कि भगवान शंकर जहां कावड़ के जल से प्रसन्न होते हैं, वहीं विभिन्न प्रकार के पदार्थों से महाभिषेक करने पर मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। गाय के दूध से अभिषेक करने पर पुत्र की, गन्ने के रस से लक्ष्मी की तथा दही से पशु की प्राप्ति होती है। घी से असाध्य रोगों से मुक्ति, शर्करा मिश्रित जल से विद्या व बुद्धि, कुश मिश्रित जल से रोगों की शांति, शहद से धन प्राप्ति तथा सरसों के तेल से महाभिषेक करने से शत्रु का शमन होता है।