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Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बीकापुर में लड़ाई भाजपा-सपा की लेकिन बसपा भी कमजोर नहीं

बीकापुर विधानसभा क्षेत्र ( Bikapur Assembly constituency) की राजनीति जातियों में भी बंटी हुई है। कई गांव ऐसे हैं, जहां सभी उम्मीदवार प्रचार तक नहीं कर पाते हैं और न ही बूथ पर उनके लिए एजेंट ही मिलते हैं। यह जातिवाद ही है कि उम्मीदवारों के आतंक और उनके द्वारा किए गए जुर्मों को भूल कर उन्हें माननीय तक बना देते हैं। ऐसा करने वालों में वे दल भी शामिल हैं, जो खुद को स्वच्छ राजनीति करने का दंभ भरते हैं।

Jan 03, 2022 / 05:38 pm

Shiv Singh

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 :  बीकापुर में लड़ाई भाजपा-सपा की लेकिन बसपा भी कमजोर नहीं

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : बीकापुर में लड़ाई भाजपा-सपा की लेकिन बसपा भी कमजोर नहीं

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
अयोध्या. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( Uttar Pradesh Assembly Election 2022 ) की तिथियां अभी घोषित नहीं हुई लेकिन बीकापुर विधानसभा क्षेत्र (Bikapur Assembly constituency) में चुनावी वादों वाले चेहरों के होर्डिंग्स यह बता रही हैं कि चुनाव नजदीक हैं। पूरे इलाके में भाजपा और समाजवादी पार्टी का ही दबदबा दिखाई देता है लेकिन जन समस्याएं इतनी अधिक हैं कि लोग चुनाव से अधिक जर्जर सड़कें और छुट्टा जानवरों से निजात पाने की जददोजहद कर रहे हैं।
राम मंदिर आंदोलन के कारण देश-विदेश में चर्चा का केंद्र बिंदु बने अयोध्या जिले की कई विधानसभा सीटों पर चुनावी बिसात बिछने लगी है। बीकापुर विधानसभा क्षेत्र में संभावित उम्मीदवारों के बैनर-पोस्टर दिखने लगे हैं। क्षेत्र में घूम रही महंगी गाडिय़ां गांव-गांव पहुंचने लगी हैं। यह राम लहर का ही असर है कि यहां से भाजपा की शोभा सिंह चौहान विधायक हैं। वे एक राजनीतिक परिवार से आती हैं। राजनीतिक तौर पर देखें तो यहां पिछले दो दशक से सपा, बसपा और भाजपा के बीच ही लड़ाई होती रही है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां से सपा के मित्रसेन यादव जीते थे लेकिन वर्ष 2015 में मित्रसेन यादव का निधन हो गया और 2016 के उपचुनाव में उनके बेटे आनंदसेन निर्वाचित हुए लेकिन 2017 के चुनाव में सपा के आनंद सेन हार गए। उन्हें 67422 वोट मिले जबकि विजयी रहीं भाजपा की शोभा सिंह चौहान को 94074 वोट मिले। बसपा के जितेंद्र सिंह को 49690 वोट मिले थे जबकि एआईएमआईएम के जुबैर अहमद को 3275 वोट मिले। बसपा का अपना वोट बैंक है और इसी के सहारे वर्ष 2007 में बसपा के जितेंद्र कुमार उर्फ बबलू भइया ने जीत भी दर्ज की थी।
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बीकापुर विधानसभा क्षेत्र (Bikapur Assembly constituency) के जलालपुर क्रासिंग पर गांव सराय बनौली जा रहे शाहरुख का कहना है कि वर्तमान विधायक ने जितने काम कराए हैं, उनका लाभ चुनाव में मिलेगा। इनका कहना है कि अगर सपा ने आनंदसेन को टिकट नहीं दिया तो यहां भाजपा की राह आसान हो जाएगी।
ये हैं मुख्य मुद्दे
क्षेत्र की सड़कें जर्जर हैं। लंबे समय से सड़कों की रिपेयरिंग न होने से जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। शाहगंज क्षेत्र में तो ऐसी स्थिति है कि आवागमन मुश्किल है। एक और बड़ी समस्या छुट्टा जानवरों की है। हालांकि सरकार ने कई जगह पशु आश्रय की व्यवस्था की है लेकिन सूरज ढलते ही पशुओं के झुंड में खेतों में फसल नष्ट करने पहुंच जाते हैं। क्षेत्र में रोजगार के अवसर न के बराबर हैं। एक निजी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रहे मूलराज यादव का कहना है कि पढ़ाई की व्यवस्था ठीक नहीं है। सरकारी संस्थानों अच्छी पढ़ाई का अभाव है। बड़ी संख्या में शिक्षण संस्थान निजी क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र के गरीब अभिभावक अपने बेटे-बेटियों को उचित शिक्षा नहीं दिला पाते हैं।
राजनीति में प्रभावी हैं बाहुबली
वैसे तो पूरे अयोध्या जिले की राजनीति में अपराध की छाप है, ऐसे में बीकापुर क्षेत्र (Bikapur Assembly constituency) भी अछूता नहीं है। यहां आनंद सेन यादव और जितेंद्र सिंह ऊर्फ बबलू भइया की गिनती बाहुबलियों में होती है। समय-समय पर इनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज हो चुके हैं। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं लेकिन इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता करार देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। इसके अलावा कई अन्य भी दबंग किस्म के संभावित उम्मीदवारों के होर्डिंग्स क्षेत्र में लगे हुए हैं।
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फिर भिड़ेंगे भाजपा-सपा
विधानसभा चुनाव 2022 ( Uttar Pradesh Assembly Election 2022 ) में भाजपा और समाजवादी पार्टी की ही भिड़ंत होने वाली है। हालांकि अभी की तस्वीर यही है। बसपा यहां अपने साइलेंट वर्कर्स के सहारे लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी हुई है जबकि कांग्रेस व अन्य दल भी क्षेत्र में कुछ बूथ पर उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कई नाम हैं लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि आनंदसेन को अपनी सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि आनंदसेन का कहना है कि वे क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हैं लेकिन टिकट का फैसला तो पार्टी ही करेगी।

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