‘ना गुंड़ा राज, ना भष्टाचार’ 2017 में हुए यूपी विधानभा चुनाव के दौरान बीजेपी के घोषणा पत्र और चुनावी गानों में यूपी से गुंडा राज और भष्टाचार को खत्म करने का मुद्दा सबसे प्रमुख था। सरकार बनते सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंच से ऐलान किया कि अपराधी प्रदेश छोड़ दे। महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध पर लगाम लगाने के लिए सीएम ने एंटी रोमियो स्वायड का गठन भी किया। जिससे यूपी की छवि बेहतर हो सके।
पुलिसवालों ने लगाई सरकार पर दाग ? सीएम योगी की खुली छूट या यूं कहें की मुख्यमंत्री के आदेश की आड़ लेकर कुछ लोवर रेंक के पुलिसवालों ने कुछ घटनाएं की और फिर सीनियर अधिकारियों ने उन मामलों को ढ़कने की कोशिश की, जिससे योगी सरकार पर भी दाग के कुछ छीटें पड़े हैं। चाहें कासगंज में अल्ताफ का मामला हो, आगरा में सफाईकर्मी अमित वाल्मीकि का मामला हो या फिर सीएम योगी के शहर गोरखपुर में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या का मामला और सूबे की राजधानी लखनऊ में विवेक तिवारी की हत्या की मामला हो। आंकड़ों की बता करें तो यूपी पूरे देश में कस्टोडियल डेथ के मामले नंबर पर है। ये ऐसी घटनाएं हैं जिसमें पुलिस और सरकार दोनों पर आरोप लगें। विपक्षी दल इन मुद्दों को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।
विपक्ष का काम है सरकार को घेरना- ब्रजलाल बीजेपी राज्यसभा सांसद और प्रदेश के पूर्व डीजीपी रहे ब्रजलाल का कहना है कि कानून-व्यवस्था अन्य मुद्दों की तरह ही एक चुनावी मुद्दा रहता है। जो भी सरकारें रहती हैं विपक्ष उसको कानून-व्यवस्था को हथियार बनाकर घेरता रहा है। खासकर यूपी और बिहार में कानून-व्यवस्था को विपक्ष चुनावी मुद्दा बनाता रहा है।
क्या कहते हैं विपक्षी ? कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था सबसे खराब रही है। अपराधी तो दूर, पुलिस वाले ही इस सरकार में अपराधी बन गए हैं। कांग्रेस इस सरकार में खराब लॉ एंड ऑर्डर को लेकर जनता के बीच जाएगी। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी का कहना है एनएचआरसी का सबसे ज्यादा नोटिस यूपी को मिला है। कई तहर के अपराधों में यूपी पूरे देश में नंबर वन पर है। सपा पहले से ही इन घटनाओं को मुद्दा बनाती आ रही है। हमारे घोषणा पत्र में ये मुद्दा जरुर रहेगा और हम जनता के बीच इस मुद्दे को लेकर जाएंगे।
पिछली सरकारों में भी लॉ एंड ऑर्डर रहा है मुद्दा यूपी के सभी चुनावों में पार्टियों के घोषणा पत्र में कानून-व्यव्स्था एक मुद्दा रहा है। चाहे 2007 का चुनाव हो, 2012 का रहा हो या फिर 2017 का। मायवती सरकार में औरैया में विधायक शेखर तिवारी पर आरोप लगा था कि मनोज गुप्ता नाम के इंजीनियर की पीट-पीट कर चंदा उगाही के मामले में हत्या कर दी थी। फिर अखिलेश यादव सरकार में भी कई घटनाएं खराब लॉ एंड ऑर्डर का हवाला दिया जा रहा जिसमें मुजफ्फरनगर दंगा प्रमुख था।