कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लिखे पत्र में इस बात पर आपत्ति जताई गई है कि महापौर के लिए पार्टी के नेता अपनी पत्नियों के नाम आगे कर रहे हैं। इससे हमारा उत्साह कम होता है। महिला कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इस पत्र के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
राजनीतिक के जानकार इस मांग को सही बता रहे हैं। वहीं, कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। बता दें कि
प्रदेश में सालों से महिला कांग्रेस की कमान राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम के पास है। हालांकि उन्होंने एक बार अपना इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वो मंजूर नहीं हुआ। बताया जाता है कि महिला कांग्रेस के संगठन में लंबे समय से बड़ा बदलाव भी नहीं हुआ है।
राजधानी में ज्यादा जोर
नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के दिन से ही दावेदारों की फौज खड़ी हो गई है। राजधानी में अब तक 6 से 7 दावेदारों के नाम सामने आ चुके हैं। इसके अलावा कई नेत्रियां दिल्ली से अपने टिकट लाने का प्रयास तेज कर दिए हैं। इसके अलावा दावेदारों में कांग्रेसी नेताओं की पत्नियों के नाम भी सामने आ रहे हैं। इसमें पूर्व विधायक, पूर्व महापौर, पूर्व विधायक प्रत्याशी जैस नेताओं की पत्नियों के नाम शामिल हैं।
सीट बचाने की चुनौती
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए नगरीय निकाय चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। पिछली बार नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत शानदार था। प्रदेश के सभी नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर बने थे। इस लिहाज से कांग्रेस के सामने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखने की बड़ी चुनौती है। यह चुनाव सीधे तौर पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा होगा।