scriptUP Assembly Election 2022: समाजवादी पार्टी को वाराणसी में जोर का झटका, राजकुमार ने ज्वाइन की BJP | big blow to Samajwadi Party in Varanasi Former City president Rajkumar Jaiswal joined BJP | Patrika News
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UP Assembly Election 2022: समाजवादी पार्टी को वाराणसी में जोर का झटका, राजकुमार ने ज्वाइन की BJP

UP Assembly Election 2022 के तहत अभी पूर्वांचल का रण शेष है। बल्कि यूं कहें कि अब पूर्वांचल में रणभेरी बजने ही वाली है कि समाजवादी पार्टी को एक और जोर का झटका लगा है। पार्टी के संस्थापको में से एक पूर्व महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने शुक्रवार को बीजेपी ज्वाइन कर ली।

Feb 18, 2022 / 03:11 pm

Ajay Chaturvedi

राजकुमार जायसवाल ने समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन की

राजकुमार जायसवाल ने समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन की

वाराणसी. UP Assembly Election 2022 के लिए अभी पूर्वांचल में चुनावी दुदुंभी बजने ही वाली है कि समाजवादी पार्टी को बनारस में जोर का झटका लगा है। बनारस में समाजवादी पार्टी के संस्थापको में एक पूर्व महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायवाल ने गुरुवार को पार्टी छोड़, बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। एमएलसी शतरुद्र प्रकाश के बाद राजकुमार का समाजवादी पार्टी छोड़ना बड़ा झटका माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष रह चुके राजकुमार जायसवाल ने शुक्रवार को लखनऊ स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी की प्राथमिक सदस्य्ता ग्रहण की। राजकुमार के पार्टी छोड़ने से ये कयास लगाया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी को केवल वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में बड़ा नुकसान हो सकता है। खास तौर पर व्यापारी वर्ग में राजकुमार जायसवाल बड़ा चेहरा माना जाता है। बता दें कि अभी गुरुवार को ही समाजवादी पार्टी से बीजेपी में जाने वाले एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने समाजवादी पार्टी के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को बीजेपी ज्वाइन कराई है।
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संगठनात्मक दृष्टि से भी राजकुमार जायसवाल सधे हुए नेता माने जाते हैं। महानगर अध्यक्ष रहते उन्होने इसे साबित भी किया है। लंबे समय तक वो वाराणी महानगर के अध्यक्ष रहे। उस वक्त भी उन्होंने पार्टी को मजबूती प्रदान की जब अखिलेश का उनके चाचा शिवपाल यादव संग खटपट चल रही थी और शिवपाल के समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद जब लोग उनके साथ जाने लगे तो भी राजकुमार ने समाजवादी पार्टी को न केवल खुद बल्कि अपने पार्टी के लोगों को भी पार्टी से जोड़े रखा। सतीश फौजी के जिलाध्यक्ष रहते जब पार्टी की किरकिरी हो रही थी तब भी उन्होंने पार्टी को मजबूती प्रदान की। निकाय चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
राजकुमार ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि अब क्या करता समाजवादी पार्टी का शरीर ही जर्जर हो चुका है। ऐसे में अपनी आत्मा को बचाने के लिए पार्टी छोड़ना पड़ा। अपनी आत्मा के साथ तो कोई समझौता नहीं कर सकते न। उनका इशारा वाराणसी समजावादी पार्टी इकाई की ओर रहा।
बता दें कि पिछले कई बार से राजकुमार जायसवाल लगातार उपेक्षित महसूस कर रहे थे। वो चाहे पिछला निकाय चुनाव रहा हो या विधानभा चुनाव, दोनों में ही पार्टी ने उनकी नहीं सुनी। वो तो निकाय चुनाव में ही अपनी पत्नी सत्या जायसवाल के लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
ये सब तब जबकि महानगर अध्यक्ष रहते राजकुमार ने पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश फौजी रहे हों या डॉ पीयूष यादव दोनों के साथ बेहतर सामंजस्य बिठाकर पार्टी को सींचा और उसे आगे बढ़ाया। तमाम अंतरविरोधों को दूर करते हुए पार्टी को एकजुट बनाए रखा। चुनावी परिणाम की दृष्टि से देखें तो राजकुमार के कार्यकाल में 2017 के विधानसभा चुनाव में भले ही अपेक्षानुरूप परिमाम न मिला हो पर जहां कहीं सपा उम्मीदवार रहे उन्होंने बेहतर संघर्ष किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी शालिनी यादव बीजेपी प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस को पीछे छोड़ दूसरे स्थान पर रहीं।

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