scriptप्रदेश के एकमात्र संगीत स्कूल की टूट रही लय, बिगड़ रहे सुर-ताल | The rhythm of the only music school of the state is breaking, the tune and rhythm are deteriorating | Patrika News
शिक्षा

प्रदेश के एकमात्र संगीत स्कूल की टूट रही लय, बिगड़ रहे सुर-ताल

kota news; ​शिक्षा नगरी कोटा में प्रदेश का एक मात्र संगीत विद्यालय है, इसके बावजूद यह विभागीय अनदेखी से जूझ रहा है। पर्याप्त छात्र पंजीयन के बावजूद यहां न ​शिक्षक है, न ही विद्यालय का अपना भवन है। ​शिकायत भी की है, लेकिन कोई फायदा नहीं मिल रहा है।

कोटाNov 30, 2024 / 01:26 pm

Hemant Sharma

music

नृत्य का अभ्यास करती बालिकाएं।

kota news;. सरकार कला-संस्कृति के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं पर लाखों रुपए खर्च करती है, लेकिन प्रदेश के एकमात्र संगीत स्कूल के सुर व ताल दोनों बिगड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है, न ही सरकार का। स्कूल में न तो पर्याप्त शिक्षक हैं, न ही साधन-संसाधन जुटाने के लिए कोई बजट मिल रहा है।
हालात ये हैं कि शिक्षकों को चार माह से वेतन तक नहीं मिल रहा। शिक्षकों के अभाव में कुछ वाद्य यंत्रों की कक्षाएं तो पिछले दिनों से बंद हैं। स्कूल प्रशासन की ओर से सरकार को समय-समय पर अवगत करवाया गया, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ। ऐसे में संगीत की लगन के साथ कला के क्षेत्र में कुछ खास कर दिखाने वाली प्रतिभाओं के सपने टूटते से नजर आ रहे हैं। यह संगीत स्कूल महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में ही संचालित होता है। विद्यालय निदेशक माध्यमिक शिक्षा के अधीन है। परीक्षाएं पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं राजस्थान बीकानेर करवाता है।
ये हैं हाल

सूत्रों के अनुसार विद्यालय में संगीत की तीनों विधाओं गायन, वादन व नृत्य में भूषण व प्रभाकर करवाई जाती है। भूषण में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम एसटीसी व दो वर्षीय प्रभाकर पाठ़्यक्रम स्नातक के समकक्ष है। इन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए 9 शिक्षकों की दरकार है। स्कूल चार शिक्षकों के भरोसे चल रहा है। एक शारीरिक शिक्षक व एक एलडीसी है। हर विधा की अलग-अलग पांच यानी 15 कक्षाओं का संचालन किया जाता है, लेकिन मजबूरन कई बार तो कॉमन क्लॉस लेनी पड़ती है।
इन शिक्षकों में से गायन के दो शिक्षकों को डेपुटेशन पर लेकर काम चलाया जा रहा है। इन शिक्षकों को चार माह से वेतन तक नहीं मिला है। उधारी के शिक्षक, उधारी से ही घर का खर्च चलाना मजबूरी हो रहा है। अनदेखी व शिक्षकों की कमी के चलते गिटार व बांसुरी का प्रशिक्षण तो बंद हो गया है। सिर्फ तबला, गायन व नृत्य की कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है। यहां तक की प्रधानाचार्य की पोस्ट भी रिक्त चल रही है।
नहीं बना भवन

संगीत स्कूल के लिए बसंत विहार क्षेत्र में भूखंड मिल चुका है, लेकिन बजट नहीं मिलने से उपयोग नहीं हो रहा। वर्तमान में विभिन्न पाठ्यक्रमों में 367 विद्यार्थी नामांकित हैं, अभी संचालित भवन व साजों की मरम्मत के लिए भी सरकार की ओर से बजट नहीं मिल रहा, जबकि साजो-सामान के रखरखाव व खरीद के लिए बजट की दरकार होती है।
नहीं हुई भर्ती

1989 में संगीत शिक्षकों की भर्ती हुई थी, उसके बाद नहीं हुई। 2015 में विभाग ने संगीत स्कूल को स्टाफिंग पैटर्न से मुक्त रखा, लेकिन बावजूद भूषण व प्रभाकर कक्षाओं के वरिष्ठ अध्यापकों के तीन पदों को समाप्त कर दिया। इससे बोर्ड की कक्षाओं के पाठ्यक्रम को पढ़ाने वाले अध्यापक नहीं हैं।
दिए कई कलाकार

प्रख्यात प्ले बैक सिंगर श्रेया घोषाल ने इसी स्कूल में संगीत सीखा। नृत्य शिक्षक बरखा जोशी ने भूषण व प्रभाकर यहीं से किया। रेखा राव समेत अन्य कई कलाकार इस स्कूल से निकले हैं। संगीत स्कूल आजादी से पहले झालावाड़ में संचालित होता था, बाद में 1956 में कोटा आ गया।
..और जैसा कि इन्होंने बताया

इधर स्कूल के प्रधानाचार्य राजकुमार कनाडा ने बताया कि उपलब्ध साधन-संसाधन में छात्रों को अपना पूर्ण देने का प्रयास कर रहे हैं। स्कूल में छात्रों की संख्या अच्छी है। परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं, कमियां हैं, उन्हें दूर करने के लिए प्रयासरत हैं।

Hindi News / Education News / प्रदेश के एकमात्र संगीत स्कूल की टूट रही लय, बिगड़ रहे सुर-ताल

ट्रेंडिंग वीडियो