प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री, कॉमर्स, जनसंख्या अध्ययन, अर्थशास्त्र, रिमोट सेंसिंग, कम्प्यूटर विभाग में एक-एक शिक्षक ही कार्यरत हैं। यहां केवल 1988-89, 1992-93 और 1996-97 में ही शिक्षकों की भर्ती हुई थी। सेवानिवृत्तियों से विश्वविद्यालय पर संकट मंडरा रहा है। पिछले दस साल से यहां प्रवेशार्थियों का आंकड़ा 900 से 1200 के बीच ही सिमटा हुआ है।
पैनल को मंजूरी विश्वविद्यालय में विभागवार 12 शिक्षकों की शिक्षकों की भर्ती होगी। वित्त विभाग और राजभवन स्वीकृति दे चुके हैं। प्रशासन जून-जुलाई में अधिसूचना जारी कर आवेदन लेंगे। मालूम हो कि विश्वविद्यालय शिक्षकों की भर्ती के लिए विशेषज्ञों के पैनल पहले ही तैयार करा चुका है। प्रबंध मंडल में इन पैनल को मंजूरी मिल चुकी है।
वो विवादास्पद साक्षात्कार जुलाई 2007 में विश्वविद्यालय ने सात शिक्षकों की भर्ती के प्रयास किए थे। 25 जुलाई 07 को विश्वविद्यालय ने साक्षात्कार के लिए शिक्षकों को बुलाया। रोस्टर की पालना नहीं होने से संबंधित शिकायतें मिलने पर तत्कालीन कार्यवाहक राज्यपाल ए. आर. किदवई ने साक्षात्कार पर रोक लगा दी। बाद में सरकार के आग्रह पर उन्होंने साक्षात्कार की मंजूरी दी। विश्वविद्यालय ने चहेतों की भर्ती के लिए देर रात 2-3 बजे तक साक्षात्कार कराए। इसकी शिकायतें मिलने पर राज्यपाल किदवई ने 30 जुलाई को प्रस्तावित बॉम की बैठक और भर्ती के लिफाफे खोलने पर रोक लगा दी। बाद में वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल शीलेंद्र कुमार सिंह ने भर्ती पैनल और लिफाफों को निरस्त कर दिया।
विश्वविद्यालय में 12 शिक्षकों की भर्ती होगी। इनकी मंजूरी मिल चुकी है। जल्द अधिसूचना जारी कर आवेदन लेंगे। इसके बाद 18 शिक्षकों की और भर्ती करने के प्रयास करेंगे। प्रो. कैलाश सोडाणी, कुलपति मदस विश्वविद्यालय