घर-घर जाकर बेचते थे सब्जी (Success Story)
पवन कुमार का जन्म बाड़मेर जिला (Barmer District) के भीमड़ा गांव में हुआ था। उनका जीवन बचपन से ही संघर्षों के बीच गुजरा। उन्होंने अपने गांव के स्कूल से पांचवी तक की पढ़ाई की। पांचवी कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई के साथ कमाने की जिम्मेदारी भी संभाल ली। वे घर घर जाकर सब्जियां बेचते थे। 10वीं की पढ़ाई के बाद उन्हें जोधपुर जाना पड़ा। यहां से उन्होंने 12वीं और फिर बीए किया। इसके साथ ही वे जोधपुर में सिर्फ 50 रुपये के लिए मजदूरी करते थे। यही नहीं वे फैक्ट्री में भी काम किया करते थे। इतने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और 170वें रैंक के साथ आरएएस परीक्षा (RAS Exam) पास की। बीए करने के बाद वर्ष 2012 में उनकी आर्मी में चपरासी की नौकरी लगी। हालांकि, ये नौकरी उन्होंने ज्वॉइन नहीं की। इसके बाद वर्ष 2013 में वे रेलवे में गनमैन लग गए। साल 2014 में पवन का चयन पटवारी में हो गया और इसके बाद वे आरएएस (RAS Exam) की तैयारी में जुट गए।
आरएएस की तैयारी शुरू की
वर्ष 2016 में पवन कुमार (Pawan Kumar Prajapat) का एलआरओ पद के लिए चयन हो गया। वहीं साल 2018 में उन्होंने पहली बार आरएएस की परीक्षा दी। हालांकि, इसमें वे असफल रहे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में खूब मेहनत की जिसका नतीजा ये हुआ कि वर्ष 2021 में पवन कुमार प्रजापत का 170वीं रैंक के साथ आरएएस में चयन हो गया।
युवाओं को देते हैं एक ही संदेश (Success Story)
पवन कुमार बताते हैं कि उनका बचपन काफी संघर्षमय रहा। उनके माता-पिता किसान और निरक्षर हैं। वे हमेशा युवाओं से कहते हैं कि जीवन में हर व्यक्ति की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। लेकिन उनसे हार नहीं मान कर हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।