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भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ
भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ है, क्योंकि यहां 5 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के 580 मिलियन से अधिक लोगों के साथ शिक्षा का एक बड़ा बाजार है। वर्ष 2020 में भारत की 68 फीसदी आबादी युवा है और इसकी 55 फीसदी आबादी 20 से 59 आयु वर्ग (कार्यशील आबादी) में है और अनुमान है कि 2025 तक यह कुल आबादी का 56 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इसके अतिरिक्त, भारत 2030 तक 140 मिलियन मध्यम-आय और 21 मिलियन उच्च-आय वाले परिवारों को जोड़ेगा, जो भारतीय शिक्षा क्षेत्र की मांग और विकास को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, देश ने प्राथमिक स्तर पर 100 फीसदी सकल नामांकन अनुपात हासिल किया है, जो विकसित देशों के बराबर है। भारत सरकार, एनईपी के माध्यम से, व्यावसायिक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2018 में 26.3 फीसदी से बढ़ाकर 2035 तक 50 फीसदी करने का लक्ष्य रखती है।
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15 करोड़ लड़कियों का छूटा स्कूल
कोविड-19 के दौरान लगभग 150 मिलियन यानी 15 करोड़ लड़कियां सीधे तौर पर स्कूल बंद होने से प्रभावित हुईं हैं। ग्रामीण भारत में लगभग 90 मिलियन यानी नौ करोड़ लड़कियां बिना किसी महत्वपूर्ण सीखने के अवसर के थीं। अगर इन लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित पहुंच प्रदान की जाती है, जो कि किफायती शिक्षा ऋण प्लेटफार्मों, छात्र आवास, पाठ्येतर और पूरक शिक्षा, और सामाजिक और भावनात्मक शिक्षा में पर्याप्त निवेश द्वारा समर्थित है, जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया है, यह एक लंबा रास्ता तय करेगा। उस प्रभाव को अनलॉक करने में जिसकी इस समय बहुत आवश्यकता है।