अपनी भाषा में सीख सकेंगे छात्र (IIT Jodhpur)
शिक्षाविदों के मुताबिक भाषाई तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में यह एक बड़ी पहल है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) इस शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से हिंदी और अंग्रेजी दोनों में बीटेक. प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम पेश करेगा। इसका उद्देश्य है कि सभी छात्र उस भाषा में सीख सकें जिसमें वे सबसे अधिक सहज हों। नई शिक्षा नीति भी लोकल भाषा को देती है बढ़ावा
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) भी क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश करती है। आईआईटी जोधपुर की इस पहल पर शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि स्थिरता और गुणवत्ता बनाए रखते हुए दोनों अनुभागों को एक ही प्रशिक्षक पढ़ाएंगे। यह आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) में अधिक समावेशी और सहायक शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
डिजिटल मानविकी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स एंड एप्लिकेशन, क्वांटम सूचना और संगणना रोबोटिक्स और गतिशीलता प्रणाली, स्मार्ट हेल्थकेयर, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे आधुनिक एवं महत्वपूर्ण विषय आईआईटी जोधपुर के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। ऐसे में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा मिलने पर भविष्य में इन पाठ्यक्रमों को भी छात्रों के व्यापक समूह तक विस्तारित किया जा सकता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कही ये बातें
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी बहुभाषी व भविष्य से जुड़ी शिक्षा पर जोर दिया। मंगलवार को उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़ी, भविष्यवादी, बहुभाषी और 21वीं सदी की शिक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है। राज्यों और केंद्र दोनों को शिक्षा के क्षेत्र में मजबूती लाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने और बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना होगा। उन्होंने यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में कही।
आईआईटी जोधपुर है काफी विकसित (IIT Jodhpur)
गौरतलब है कि वर्तमान में आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) में यूजी, पीजी और पीएचडी कार्यक्रमों में 4,500 से अधिक छात्र हैं। आईआईटी जोधपुर ने एक आईआईटी के तौर पर कई आधुनिक तकनीक और समाधान भी विकसित किए हैं। हाल ही में इस आईआईटी के शोधकर्ताओं ने पौधे-आधारित बायोमास से बने बायो-जेट-ईंधन बनाने का नया तरीका विकसित किया था। आईआईटी के शोधकर्ताओं ने प्रचुर मात्रा में उपलब्ध लोहा आधारित उत्प्रेरक (एफइ, सिलिका-एल्यूमिना) को विकसित किया है। इसकी सहायता से विभिन्न गैर-खाद्य तेलों और बायोमास वेस्ट का उपयोग करते हुए जेट ईंधन निर्माण प्रक्रिया को लाभदायक बनाने का प्रयास किया है। आईआईटी के मुताबिक यह दशकों से उपयोग हो रहे महंगे हवाई ईंधन का विकल्प विकसित करने में सहायक होगा। यह सस्ते और स्वच्छ ईंधन का एक घटक है जो ऊर्जा के क्षेत्र को बदल सकता है।