क्या होता है नॉर्मलाइजेशन (What Is Normalisation?)
BPSC की परीक्षा दो पालियों में आयोजित की जानी है। इसी वजह से नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा गरमाया हुआ है। दरअसल, जब दो पालियों में किसी परीक्षा को आयोजित किया जाता है तो परीक्षाओं के अंकों को एक बराबर जैसा करने के लिए Normalisation की मदद ली जाती है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब दो पालियों में प्रश्न पत्रों का कठिनाई स्तर अलग-अलग होता है। इसलिए दोनों पालियों के उम्मीदवारों के नंबर पर इसका असर न हो, इसलिए इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
Normalisation: कैसे काम करती है यह प्रक्रिया?
नॉर्मलाइजेशन विभिन्न पालियों में आयोजित परीक्षाओं के अंकों को मुख्यतः सामान्यीकृत करने के लिए किया जाता है। मान लीजिये कि पहले शिफ्ट में प्रश्न पत्रों का स्तर दूसरे शिफ्ट के प्रश्न पत्रों से कठिन होता है। इस परिस्थिति में नॉर्मलाइजेशन के के माध्यम से पहली पाली के छात्रों के अंकों को बढ़ाया जाएगा। इससे दूसरी पाली के छात्रों के बराबर उन्हें भी लाएगा जाएगा। इसी प्रक्रिया को Normalisation का नाम दिया गया है।BPSC 70th exam: छात्रों की क्या है मांग?
Normalisation के मुद्दे पर छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन से उनके अंकों पर असर पड़ता है। जिसके बाद मेरिट लिस्ट में छात्रों का स्थान नीचे चला जाता है। इसलिए छात्र यह मांग कर रहे हैं कि इस परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए ताकि ऐसी कोई न आ सके।