2004 से लेकर 2017 तक कैसा रहा पार्टियों के चंदे का हाल
एडीआर ( ADR ) से मिली जानकारी के अनुसार साल 2015-16 के मुकाबले 2016-17 में राजनीतिक पार्टियों को मिले चुनावी चंदे में 368 फीसदी की बढ़त हुई है, जिसमें सबसे ज्यादा फायदा पीएम मोदी की पार्टी को मिला है। नेशनल पार्टीज की टोटल डोनेशन 2015-16 के मुकाबले 2016-17 में 102 करोड़ रुपए से 421.26 करोड़ पहुंच गई, यानी इसमें सीधा-सीधा 368 फीसदी का इजाफा हुआ है। बीजेपी को 2015-16 में 76.85 करोड़ रुपए का चंदा मिला था, जो अगले साल बढ़कर 515 करोड़ रुपए हो गया है। यानी इसमें सीधा-सीदा 590 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, साल 2017-18 में कुल चंदे का 86 फीसदी बीजेपी के खाते में गया है। 2016-17 में तृणमूल कांग्रेस के चंदे में 231 फीसदी, सीपीएम के चंदे में 190 फीसदी और कांग्रेस के चुनावी चंदे में 105फीसदी की बढ़त देखने को मिली है।
इन पार्टियों को मिला सबसे ज्यादा चंदा
इसके अलावा अगर हम ग्राफ में देखें तो साल 2004-05 में कॉरपोरेट कंपनियों के माध्यम से औसतन 62 करोड़ रुपए का दान मिल था जोकि साल 2017-18 में 422 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। देश की राष्ट्रीय राजनीतिक दल की बात करें तो सबसे ज्यादा चंदा भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) को मिला है। आप ग्राफ में देख सकते हैं कि साल 2004 से लेकर साल 2017 तक चंदे में किस तरह की बढ़ोतरी देखने को मिली है। साल 2014 में अब तक का सबसे ज्यादा चंदा दिया गया है। 2014 की बात करें तो इस साल 573 करोड़ रुपए का चंदा दान किया गया।
बीजेपी-कांग्रेस में कौन आगे
अगर हम बीजेपी और कांग्रेस की तुलना करें तो हम इस ग्राफ में देख सकते हैं कि साल 2004 से लेकर 2014 तक बीजेपी को 350 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। वहीं, कांग्रेस को 233 करोड़ का चंदा मिला है। अगर साल 2015 की बात करें तो बीजेपी को 408 करोड़ और कांग्रेस को 128 करोड़ रुपए का चंदा मिला है, लेकिन वहीं अगर हम साल 2018 की बात करें तो इस साल कांग्रेस को काफी कम चंदा मिला है। 2018 में जहां बीजेपी को 400 करोड़ का चंदा मिला है। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 19 करोड़ का चंदा मिला है।
कहां से मिलता है चंदा
आपको बता दें कि राजनीतिक दलों को कई जगह से चंदा मिलता है, जिसमें सबसे ज्यादा चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलता है। आपको बताते हैं कि पार्टियां चंदा लेने के लिए किन तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। चंदे का सबसे पहला सोर्स वॉलेंट्री यानी अपनी इच्छा से दिया जाने वाला फंड है। कई लोग पार्टियों को अपनी मर्जी से चंदा देते हैं। कैश में मिलने वाले चंदे की लिमिट 2000 है, जिसके कारण कंपनियां इळेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा लोकल बिजनेसमैन और कॉन्ट्रैक्टर सीधे उम्मीदवार को कैश या फिर बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर कर देते हैं। सबसे ज्यादा चंदा इलोक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से ही दिया जाता है।
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