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1930 के ग्रेट रिसेसशन डिप्रेशन की ओर बढ़ रही है मौजूदा इकोनॉमी
आईएमएफ चीफ ने कहा कि दुनिया की मौजूदा इकोनॉमी 1930 के ग्रेट रिसेसशन यानी महामंदी की ओर बढ़ रही है। 1930 की महामंदी शुरुआत न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के डूबने के साथ शुरू हुई थी। जिसका असर 10 सालों तक देखने को मिला था। कोरोना वायरस भी मौजूदा इकोनॉकी को उसी तरह से खा रहा है, जिस तरह से उस वक्त का दौर था। मतलब साफ है कि दुनिया की इकोनॉमी 90 साल पीछे की ओर जा रही है। जो शुभ संकेत बिल्कुल भी नहीं है। जॉर्जिवा ने अगले सप्ताह होने वाली आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक से पहले ‘संकट से मुकाबला : वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिकताएंÓ विषय पर अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा समय में दुनिया ऐसे संकट से जूझ रही है, ऐसी स्थिति कभी किसी ने पहले कभी नहीं देखी।
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सबसे बड़ी गिरावट
आईएमएफ चीफ के अनुसार कोई भी अर्थव्यवस्था इस संकट की अवधि को लेकर निश्चित नहीं है, लेकिन यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं कि दुनिया ग्रेट रिसेसशन कके बाद सबसे बड़ी मंदी की ओर आ चुका है। आईएमएफ चीफ के अनुसार सिर्फ तीन महीने पहले उनता अनुमान था कि आईएमएफ के 160 सदस्य देशों में 2020 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी। अब मौजूदा समय में जो माहौल चल रहा है उसमें सारे अनुमान विपरीत हो गए हैं। अब 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटने का अनुमान है। महामंदी को दुनिया की अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर के रूप में जाना जाता है।