पूरा मामला वार्ड 16 के केंद्रीय कर्मचारी नगर स्थित पानी टंकी का है। लाखों रुपए खर्च कर वर्ष 2012-13 में टंकी को बनाया गया। 25 हजार गैलन लीटर क्षमता वाली इस पानी टंकी से वार्ड 16 के अलावा 14, 15 और 58 के करीब 10 हजार घरों को पानी सप्लाई की जाती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि टंकी के निर्माण के बाद एक बार भी मेंटनेंस नहीं किया गया है। इससे टंकी और इसके परिसर के तमाम निर्माण कंडम व जर्जर हो रहे हैं। टंकी के बाउंड्री वाल के भीतर लगा हुआ लाइट काफी दिनों से बंद है। परिसर की सफाई कब की गई है, यह किसी को पता ही नहीं है।
कैमरा लगाया, लेकिन कभी नहीं हुआ चालू
पानी टंकी की सुरक्षा के नाम पर परिसर में दो सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है, लेकिन ये कैमरा आज तक किसी भी सिस्टम से कनेक्ट ही नहीं किया गया है। लिहाजा यह कैमरा आज तक कभी चालू ही नहीं हुआ। एक कैमरा सीढ़ियों की और दूसरा वाल्व की दिशा में लगाया गया था। ये दोनों कैमरे अब तार के सहारे लटक रहे हैं।
बोतल बता रहा वाटर लेबल
नगर निगम आज तक टंकी के भीतर वाटर लेबल नापने का सिस्टम नहीं लगा पाया। इसकी जगह पानी की खाली बोतल को रस्सी के सहारे लटकाकर वाटर लेबल नापा जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पूर्व में शिकायत पर यहां आधुनिक सिस्टम लगाया गया था, लेकिन ये सिस्टम आज तक इस्तेमाल नहीं हो पाया है और अब यह कंडम हो चुका है। धंस रहा बेस का फ्लोरिंग, रिपेयरिंग नहीं टंकी को सुरक्षित रखने के लिए बेस के साथ पूरे परिसर की फ्लोरिंग कराई गई है, लेकिन घटिया निर्माण के कारण यह फ्लोरिंग भी धंसने लगा है। टंकियों के बेस के पास कई जगहों से फ्लोरिंग धंस गया है। इससे टंकी के दबाव के कारण बेस के झुकने का खतरा बढ़ गया है। ऐसा हुआ तो टंकी गिरने जैसा गंभीर हादसा भी हो सकता है।
कमरा जर्जर हो गया, लेकिन नहीं लगा सिस्टम
स्थानीय लोगों ने बताया कि टंकी के नीचे बाउंड्रीवाल के अंदर तीन से चार साल पहले आधुनिक प्रणाली व मशीनें लगाने के नाम पर कमरा भी बनवाया गया है। यह कमरा अब जर्जर होने लगा है, लेकिन न तो सिस्टम लगा और न ही इस कमरे का आज तक उपयोग नहीं हो पाया है। इस तरह नगर निगम प्रशासन ने कमरा बनवाकर निगम का लाखों रुपए बर्बाद कर दिया। पानी की टंकियों के भीतर शरारती तत्वों द्वारा अखाद्य अथवा नुकसान पहुंचाने वाली चीजे डाल दिए जाने का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति से बचाव के लिए टंकी की सीढिय़ों की ओर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था, लेकिन यह काम ही नहीं कर रहा है। ऐसे में कोई भी शरारती तत्व गड़बड़ी कर निकल जाएगा और निगम को पता भी नहीं चलेगा। पानी टंकी से सप्लाई की निगरानी के लिए बाल्व की ओर भी कैमरा लगाया गया था।
इस कैमरे से वाल्व खोलने और बंद करने के समय की निगरानी किया जाना था, लेकिन यह कैमरा भी बंद है। निगम प्रशासन का ध्यान इस ओर दिलाया गया है। बकायदा इस संबंध में निगम कमिश्नर को ज्ञापन भी सौंपा गया है, लेकिन कई दिनों बाद भी अब तक कोई भी एक्शन नहीं हो पाया है। कभी भी गंभीर हादसे जैसी स्थिति बन सकती है।
दूसरी टंकियों की जाएगी पड़ताल
वही इस मामले में दुर्ग नगर पालिक निगम के जलगृह प्रभारी संजय कोहले ने कहा कि इसकी शिकायत अभी मुझे नहीं मिली है। सीसीटीवी कैमरा संभवत: पार्षद निधि से लगाया गया है। वास्तविक स्थिति की पड़ताल करवाकर तमाम जरूरी उपाय कराए जाएंगे। अधिकारियों को तत्काल मौका मुआयना के लिए कहा जाएगा। दूसरी टंकियों की भी पड़ताल कराई जाएगी।