महाभारत का प्रसंग सुना कर तीजन ने ली बीएसपी की नौकरी से विदाई
पद्म भूषण डॉ. तीजन बाई 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद मंगलवार को बीएसपी से सेवानिवृत्त हो गईं। भिलाई बिरादरी ने पूरे सम्मान के
साथ उन्हें विदाई दी।
The episodes of the Mahabharata heard Tijan bai farewell of BSP job
भिलाई. पद्म भूषण डॉ. तीजन बाई 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद मंगलवार को भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवानिवृत्त हो गईं। भिलाई बिरादरी ने पूरे सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी। भिलाई निवास में हुए समारोह में तीजन ने कपालिक शैली में महाभारत के प्रमुख पात्र दु:शासन वध का प्रसंग अपनी चिरपरिचित अंदाज में छत्तीसगढ़ी में सुनाया और विदाई ली। तीजन ने अपनी सफलता का श्रेय बीएसपी को दिया। कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र ने उनकी कला को पहचाना और सम्मान दिया जिसकी वजह से वह देश-विदेश तक पंडवानी को पहुंचा पाईं।
बीएसपी को डॉ. तीजन के नाम से पहचान
इस मौके पर बीएसपी के सीइओ एम. रवि ने कहा कि तीजन बीएसपी ही नहीं भिलाई और पूरे छत्तीसगढ़ की शान है। विदेशों में लोग बीएसपी को डॉ. तीजन बार्ई के नाम से पहचानते हैं, यह हमारे लिए गौरव की बात है। इस अवसर पर ईडी पीके सिन्हा, पीएस भदौरिया, आरए चतुर्वेदी, जीएम इंचार्ज पीआर देशमुख सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
अंगूठा छाप हो बीएसपी में क्या करोगी?
उन्होंने पूछा था अंगूठा छाप हो बीएसपी में क्या करोगी? आज तीस साल की नौकरी पूरी कर ली तीजन ने पत्रिका के साथ अनुभव साझा करते हुए अपने संघर्ष के दिनों से लेकर बीएसपी के साथ लंबे सफर को याद किया। उन्होंने बताया कि तीस साल पहले जब वे रोजगार कार्यालय में अपना कार्ड बनाने गई थी तो रोजगार अधिकारी ने उनसे कहा था कि तुम अंगूठा छाप हो बीएसपी में क्या करोगी? एक वह दिन था और आज का दिन भुलाए नहीं भूलता।
मेरी आखिरी सांस तक गूूंजेगी तंबूरे की तान
उनकी सुबह रोज की तरह हुई, लेकिन उनकी रूटीन से सुबह दफ्तर जाने का सिललिसा थम गया। शाम को वे आखिरी बार अपने स्टॉफ और बीएसपी के अधिकारियों के बीच मौजूद थीं। अब वे बीएसपी के मंच पर जरूर नजर आएंगी पर बीएसपी के कर्मचारी की तरह नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कलाकार की हैसियत से। तीजन का कहना है कि बीएसपी उनका दूसरा घर है। काम से उन्हें रिटायरमेंट मिला है, लेकिन उनके तंबूरे की तान बीएसपी के मंच पर आखिरी सांस तक सुनाई देगी।
हस्ताक्षर देख हंसते थे
स्टाफ ने हस्ताक्षर करना सिखाया
तीजन बाई ने कभी स्कूल की सीढिय़ां नहीं चढ़ी। अंगूठा छाप होने के बावजूद किसी तरह उन्होंने अपना नाम लिखना सीखा। वे उन दिनों को आज भी याद करती हैं कि हाजिरी रजिस्ट्रर में उनकी साइन तारीख से और आगे चली जाती थी और सभी उसे देखकर हंसते थे, लेकिन उनके सहयोगियों और स्टाफ ने मिलकर उन्हें सही तरीके से हस्ताक्षर करना सिखाया।
ज्वाइनिंग से पहले पेरिस जाने का मौका
वे बताती है कि बीएसपी में ज्वाइनिंग से पहले उन्हें पेरिस जाने का मौका मिला था। जब वे वापस आई तो एमडी ने उनसे पेरिस के किस्से सुने और जाते वक्त ज्वाइनिंग लेटर दे दिया। उन्हें कुछ समझ नहीं आया। बाहर आकर जब डॉ. विमल कुमार पाठक को बताया तो उन्होंने समझाया कि बीएसपी में उनकी नौकरी पक्की हो गई है।
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