फिलहाल प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में करीब 80 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं। वहीं, जमादार के भी 25 फीसदी ही पद भरे हुए हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद नहीं होने के कारण एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में सबसे अधिक समस्या आ रही हैं। उनमें तो शिक्षक और विद्यार्थी ही चतुर्थ श्रेणी का जिम्मा संभाल रहे हैं। प्राथमिक विद्यालयों के पास विद्यालय कोष भी नहीं है, जिससे वह अस्थायी कार्मिक से कार्य करवा सके। इसके बावजूद सरकार की ओर से इन पदों पर नियुक्ति को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
एक साल चलेगी भर्ती
कर्मचारी चयन बोर्ड ने कुल 52 हजार 453 पदों के लिए भर्ती निकाली है। इसमें नॉन टीएसपी क्षेत्र में 46,931 एवं टीएसपी क्षेत्र के लिए 5522 पदों पर भर्ती होगी। ऑनलाइन आवेदन 21 मार्च 2025 से 19 अप्रेल 2025 तक मांगे हैं। इसके बाद परीक्षा की संभावित तिथि 18 सितम्बर 2025 से 21 सितम्बर 2025 तक तय की है। इसके बाद परिणाम, दस्तावेज सत्यापन एवं पदस्थापन आदि प्रक्रिया में छह माह लगने तय है। ऐसे में मार्च 2026 के पहले विद्यालयों में पद भरने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
जमादार-प्रयोगशाला परिचारक का भी टोटा
प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 27 हजार 495 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 22 हजार 144 पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह जमादार के 444 पदों में से 114 पद ही भरे हुए हैं। बाकी 330 पद खाली चल रहे हैं। प्रयोगशाला परिचारक के 1454 पद स्वीकृत है। पर, 222 ही भरे हुए हैं। कुल 1232 पद रिक्त चल रहे हैं।
नामांकन के हिसाब से सृजित करने जरूरी
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिलाध्यक्ष बलवंत बामणिया एवं जिला प्रवक्ता राजेन्द्रङ्क्षसह चौहान ने कहा कि विद्यालयों के हिसाब से पद सृजित होने जरूरी है। एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में भी एक-एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी होना चाहिए। पद भरने से विद्यालय संचालन, साफ सफाई सहित कई दैनिक कार्यों में सुविधा होगी। सरकार जल्द ही भर्ती करती है, तो इससे स्कूलों में शिक्षण कार्य में भी सुधार होगा। वहीं, कार्य में भी राहत मिलेगी।
काम हो रहे प्रभावित
विद्यालय में कालांश बदलने पर घंटी बजाना विद्यालय में पानी भरना निरीक्षण के लिए अधिकारी या अन्य मेहमानों के आने पर चाय-पानी देना दैनिक उपस्थिति एकत्रित करना
स्कूल का समय में मुख्य द्वार सहित सभी कक्षों के ताले खोलना-बंद करना।
अधिकारी ने कहा…
विद्यालयों में दिक्कत तो हैं। जिले में स्थित सरकारी विद्यालयों की तुलना में पद सृजित नहीं है। पद सृजित होने के साथ ही सभी पदों पर भर्ती होती है, तो बहुत बड़ी राहत मिलेगी। यह निर्णय सरकार के स्तर का है। – आरएल डामोर, जिला शिक्षा अधिकारी, डूंगरपुर