बैठक के दौरान अधिकारियों का रूख ठोस कार्रवाई के बजाए महज खानापूर्ति दिखाने में नजर आया। मंत्री आंजना ने प्रबंधक निदेशक अनिमेश पुरोहित को कार्रवाई के निर्देश दिए तो पुरोहित ने पूर्व में एक ऋण पर्यवेक्षक को निलंबित किए जाने और जल्द ही अन्य को भी करने की बात कही। इस पर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जल्द ही क्यों, आज ही करो, ताकि बैठक का असर दिखे।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जनवरी के महीने में डूंगरपुर जिले में कर्जमाफी में गड़बडिय़ों की शिकायतें सामने आई थी। रजिस्ट्रार स्तर पर बनाई गई कमेटी ने जांच की। इमसें जिले के 11647 ऋण खाते फर्जी पाए गए। इनके नाम पर 37 करोड़ रुपए की कर्जमाफी चढ़ा दी गई थी। इन सभी खातों को निरस्त करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई। जिले में मुख्य रूप से 27 लेम्प्स में व्यापक गड़बडिय़ां मिली। अधिकारियों ने दावा कि निश्चित तौर पर व्यवस्थापकों की नीयत बड़े गबन की थी, लेकिन राशि जारी नहीं होने से ऐसा नहीं हो पाया।
कलक्टर ने मंत्री को बताया कि अब तक की जांच में तीन तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसमें ऐसे लोग जो कभी लेम्प्स में गए ही नहीं उनके नाम से करीब 72 करोड़ रुपए की कर्जमाफी प्रस्तावित कर दी गई।