कहीं असली के चक्कर में नकली बादाम तो नहीं खा रहे आप , जानिए कैसे पहचाने
आनुवांशिक बीमारी सिकल सेल एनीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी अधिकतर जनजातियों में देखने को मिलती है। देश में 706 जनजातियां हैं जो कुल आबादी का 8.6 फीसदी हैं। यहां ज्यादा मरीज
इसके लक्षण बच्चों में 6 माह की उम्र से देखे जा सकते हैं। इससे थकान-कमजोरी होती है। छाती, पेट और जोड़ों में खून की समस्या होने से तेज दर्द हो सकता है। यह कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। हाथ-पैरों में सूजन और बार-बार संक्रमण होना भी इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं।
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एकमात्र कारणअगर माता-पिता को यह बीमारी है तो बच्चे को भी होगी। यह मुख्य रूप से आनुवांशिक बीमारी है। इनमें एक जीन होता है जो एनीमिया के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह जीन ही बीमारी का कारण बनता है। बार-बार संक्रमण से प्लीहा की क्षमता पर असर पड़ता है।
इसे प्रेग्नेंसी या फिर बच्चे के जन्म के समय डायग्नोस किया जाता है। जांच के लिए सीबीसी यानी संपूर्ण ब्लड काउंट टेस्ट, हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट (असामान्य हीमोग्लोबिन की जांच), यूरिन की जांच ताकि किसी तरह के छिपे हुए इंफेक्शन का पता चल सके। अल्ट्रासाउंड-एक्सरे भी कराते हैं।
हर मरीज के लक्षणों के आधार पर इलाज होता है। इसमें खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। बोनमैरो ट्रांसप्लांट एकमात्र इलाज है। यह न केवल कठिन, महंगा इलाज है बल्कि इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं। इसमें डोनर, मरीज का भाई या बहन हो ताकि बोनमैरो मैच हो जाए।
– फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी नियमित रूप से देना चाहिए ताकि नई लाल रक्त कोशिकाएं बनती रहें।
– खूब पानी पीते रहें ताकि दर्द से बचा जा सके। दर्द निवारक दवाइयां डॉक्टरी सलाह के बाद ही लें।
– शादी से पहले लडक़ा-लडक़ी के ब्लड की जांच हो ताकि सिकल सेल बच्चों में न फैले।