महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे ज्यादा ग्रस्त होते हैं। इसके लक्षणों में आवाज समझने में दिक्कत आना ( Hearing Loss ) , टेलीविजन, मोबाइल पर आवाज स्पष्ट न समझ पाना है, तेज ध्वनि की जरूरत पड़ना, बार-बार दोहराने के लिए कहना आदि शामिल हैं। कुछ लोगों को तेज आवाज से चिड़चिड़ाहट महसूस होती है। कई लोगों को कान में सीटी या घंटी जैसी आवाज भी महसूस होती है जिसे चिकित्सकीय भाषा में टिनिटस कहते हैं।
कान की आंतरिक सूक्ष्म संरचनाओं और खासकर सुनाई देने में सहायक नसों में कमजोरी आने से यह अवस्था आती है। कुछ मामलों में जो लोग ईयरप्लग व ईयरफोन का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, शोरगुल में ज्यादा रहते हों या मोबाइल पर लंबे समय तक बात करते हैं उनमें इस अवस्था के लक्षण 50 की उम्र से पहले दिखने लगते हैं।
इस अवस्था को होने से ना तो रोका जा सकता है और ना ही दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। ऑडियोमेट्री जांच से पता लगा सकते हैं कि किस तीव्रता पर सुनाई देने का स्तर घट या बढ़ रहा है। जरूरत के अनुसार मरीज के लिए हियरिंग एड का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग सुनाई देने में सुधार के लिए मल्टीविटामिन, कान का रक्तसंचार बढ़ाने वाली दवा व अन्य हर्बल पदार्थों का प्रयोग करते दिखते हैं, लेकिन कमजोर हो चुकी नस पर इसका असर होगा या नहीं, कह नहीं सकते।