क्या कहता है अध्ययन : heart and lungs disease
बीएमजे में प्रकाशित अध्ययन कहता है कि चार दशकों में 34 दशों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें पाया गया कि अत्यधिक वर्षा के कारण इसका जन स्वास्थ पर कैसे प्रभाव पड़ता है। अध्ययन में पाया गया कि अत्यधिक वर्षा वाले दिनों में सभी कारणों से होने वाली मौतों में 8% की वृद्धि हुई तथा श्वसन संबंधी बीमारियों से होने वाली मौतों में 29% की वृद्धि हुई ।अध्ययन में जोखिम कम वनस्पति और स्थिर जलवायु वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाया गया था। 1980 से 2020 का अध्ययन : Study from 1980 to 2020
शोधकर्ताओं ने 1980 से 2020 के बीच 645 स्थानों पर हुई 109 मिलियन से अधिक मौतों का अध्ययन किया और यह जांच की कि बारिश की विभिन्न तीव्रता ने मृत्यु दर को किस प्रकार प्रभावित किया।
अध्ययन में पाया गया कि सबसे भयंकर तूफानी वर्षा में हृदय और श्वसन संबंधी मृत्यु पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। अत्यधिक वर्षा के कारण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा, पानी दूषित हो गया और हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के संपर्क में वृद्धि हुई।
अध्ययन पर क्या है अलग अलग लोगों कि राय : What are the opinions of different people on this study?
ई दिल्ली स्थित एशियन अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. प्रतीक चौधरी का कहना है कि बारिश के दौरान होने वाला संक्रमण उन लोगों के लिए ज्यादा घातक है जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है। डॉ. प्रतीक चौधरी का मानना है कि भारी बारीश के कारण इसका प्रभाव मानिसिक स्थिति पर पड़ने के कारण हृदय संबंधी घटनाओं में और वृद्धि हो जाती है। होलिस्टिका वर्ल्ड के संस्थापक और निदेशक डॉ. धर्मेश शाह ने अध्ययन पर अपनी राय रखते हुए कहा कि जब भारी बारिश होती है, तो आमतौर पर उच्च आर्द्रता और जल स्रोतों का प्रदूषण पैदा होता है, जो वायुजनित और जलजनित रोगों के विकास को बढ़ावा देता है।