दांत के दर्द को न करें नजरअंदाज, बन सकता है कैंसर का कारण
जांघ व पिंडली में दर्द –
इस बीमारी में कूल्हे, जांघ या पिंडली में दर्द होता है। बाद में पैरों का सुन्न होना, कमजोरी, पैर में बाल कम होना, उनका रंग बदलना, स्किन चिकनी होना, नाखून की ग्रोथ व पैर की पल्सेशन कम होना एवं पैर में घाव आसानी से नहीं भरता है। इससे अथेरोस्क्लेरोसिस यानि ब्लड वेसल्स में कोलेस्ट्रॉल जमा होता है। इससे पैरों में ब्लड ले जाने वाली वेसल्स में जमा होने से उन्हें संकुचित करता है।
स्मोकिंग, जंकफूड, तली-भुनी चीजें, ट्रांस फैट को कम करके कोलेस्ट्रॉल जमाव को कम किया जा सकता है। नियमित व्यायाम करें। पैरों की वेसल्स में गतिशीलता बनी रहे। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर व ब्लड कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होना चाहिए। इनमें ब्लॉकेज होने पर एंजियोप्लास्टी से बंद नसों को खोला जाता है। यदि एंजियोप्लास्टी नहीं हो सकती तो बाइपास सर्जरी की जाती है।
अश्वगंधा पाउडर खाने से मिलते है ये 6 जबरदस्त फायदे
ऐसे करते हैं पहचान –
पैरों में पल्स की जांच की जाती है। प्रभावित भाग की पल्स कम पाए जाने पर और पैरों में घाव, स्किन के रंग, चमक , तापमान आदि की जांच करके पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू किया जाता है।