देसी बबूल –
इसकी पत्तियों को पीसकर करीब 50 मिलिलीटर रस निकालें व इसमें स्वादानुसार मिश्री पीसकर मिलाकर पीने से पेट की जलन शांत होती है। इसकी पत्तियों को चबाकर खाने से मुंह के छाले, मसूड़ों में सूजन और मुंह से खून आने की समस्या ठीक होती है। इसकी पत्तियों को चबाकर मुंह में दो मिनट तक रखें फिर थूक दें। ऐसा दिन में दो बार करना मुंह के कैंसर से बचाव में लाभकारी माना जाता है।
अमरूद –
एक या दो काली मिर्च व छोटी नमक की डली को अमरूद के पत्ते के साथ चबाकर खाने से खांसी व गले की खराश में आराम मिलता है। पांच अमरूद के पत्ते, पांच तुलसी के पत्ते, एक काली मिर्च, आधा चम्मच सोंठ व दो चुटकी नमक दो 100 मिलिलीटर पानी में कम आंच पर उबालें। 50 मिलिलीटर घोल बचने पर छान लें। इसमें दो चुटकी हल्दी मिलाकर पीने से पेट व त्वचा संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।
नीम –
टायफॉइड, खसरा व चेचक के मरीजों के आसपास नीम की टहनियों को रखने से रोग के कीटाणु नष्ट होते हैं। नीम की पत्तियों को पीसकर लगाने से चेचक व खसरे के निशान, फोड़े व फुंसियां ठीक हो जाती हैं। सुबह खाली पेट नीम की कोमल पत्तियों को चबाकर खाने से मुंह की लार शुद्ध होती है। चर्म रोगों व डायबिटीज में भी लाभ होता है।
आम –
इसकी सूखी पत्तियों को मसलकर थोड़ी देर तक मुंह में रखें और लार को इक्कठा होने दें। थोड़ी देर बाद थूक दें। इससे छाले व गले की खराश में आराम मिलेगा। आम के पत्तों को पानी में उबालकर उसमें दो चुटकी हल्दी मिलाएं। इस पानी में पैरों को डालकर सेंकने से सर्दी के दिनों में अंगुलियों में आई सूजन में राहत मिलती है। पत्ती को तोड़ने पर जो रस आता है, उसे आंख पर निकली गुहेरी (फुंसी) पर लगाने से आराम मिलता है।