हो सकता है अस्थमा –
भारत में टॉयलेट साफ करने के लिए एसिड का इस्तेमाल करना बहुत ही आम है। बहुत से लोगों को ये पता ही नहीं है कि एसिड से निकलने वाले धुएं व तेज दुर्गंध से सांस से जुड़ी समस्याएं जैसे कि अस्थमा आदि हो सकता है। अगर इसका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जाता है तो इससे शरीर के दूसरे भाग जैसे कि किडनी व लिवर पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
शरीर में जाते हैं रसायन –
आमतौर पर जो घटक एसिड में प्रयोग किए जाते हैं उनमें सोडियम बाइसल्फेट, ऑक्सेलिक एसिड, हाइड्रोक्लोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड शामिल होते हैं। ये रसायन हमारे शरीर में न सिर्फ धुएं के माध्यम से जाते हैं बल्कि त्वचा के माध्यम से भी अवशोषित हो जाते हैं।
दिशा-निर्देश नहीं –
कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने खुले में एसिड बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन इसके बावजूद एसिड को टॉयलेट क्लीनर के नाम पर बेचा जा रहा है क्योंकि देश में साफ -सफाई के उत्पाद बनाने वाले घटकों के प्रयोग पर उचित दिशा निर्देश नहीं है।
ये हैं उपाय –
ऐसे टॉयलेट क्लीनर का प्रयोग करें जिनमें निर्धारित मात्रा में रसायन हों। नियमित टॉयलेट की सफाई करेंगे तो आपको ऐसे कैमिकल्स की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अगर आवश्यकता पड़े भी तो वॉशिंग पाउडर या लिक्विड डिटर्जेंट का प्रयोग किया जा सकता है।