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नदी-नालों व झिरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर है आदिवासी परिवार

वनग्राम लबेदा में समस्या, जलापूर्ति की नहीं है व्यवस्थाबजाग. क्षेत्र के ग्रामीण एवं वन अंचलों में रहने वाली अधिकांश आदिवासी परिवार झिरिया, नदी व नालों का पानी पीने मजबूर हैं। घर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के तमाम प्रयासों के बीच भी आदिवासी समुदाय का एक तबका आज भी दूषित पानी पीने मजबूर है। वनग्रामों में […]

डिंडोरीOct 01, 2024 / 06:25 pm

Prateek Kohre

वनग्राम लबेदा में समस्या, जलापूर्ति की नहीं है व्यवस्था
बजाग. क्षेत्र के ग्रामीण एवं वन अंचलों में रहने वाली अधिकांश आदिवासी परिवार झिरिया, नदी व नालों का पानी पीने मजबूर हैं। घर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने के तमाम प्रयासों के बीच भी आदिवासी समुदाय का एक तबका आज भी दूषित पानी पीने मजबूर है। वनग्रामों में शुद्ध पेयजल की कम उपलब्धता होने के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। इससे ग्रामीण कई बीमारियों का शिकार हो रहे है। हाल ही में बरसात के मौसम में दूषित पानी के सेवन से ग्रामीण अंचलों में उल्टी दस्त से कई ग्रामीण बीमार हो चुके हैं। इसके बाद भी ऐसे स्थानों को चिन्हित नहीं किया गया, जहां लोग आज भी दूषित पानी के जलश्रोतो पर निर्भर है। जनपद पंचायत बजाग की ग्राम पंचायत बछर गांव के अंतर्गत वनग्राम लबेदा के ग्रामीण भी झिरिया, नदी व नालों के पानी पर निर्भर हैं। झिंझरी से जल्दा बौना जाने वाले मार्ग पर सडक़ किनारे स्थित ग्राम लबेदा में आठ दस परिवार के लोग रहते हैं। सडक़ किनारे एक बरसाती झिरिया है, जिसमे सिर्फ बरसात में पानी आता है। यहां के लोग बारिश में यहीं का पानी पीते है। साथ ही अन्य निस्तार के लिए इसी पानी का उपयोग करते हैं। झिरिया में पानी जंगली पहाड़ों से आता है। बरसात के बाद जब यह जलस्रोत सूख जाएगा तब यहां के ग्रामीण नदी नालों पर निर्भर हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस बस्ती में एक भी हैंडपंप नहीं है और जलापूर्ति की अन्य कोई व्यवस्था भी नहीं बनाई गई। वनबिभाग ने पिछले वर्ष एक कुएं का निर्माण कराया था, उसमें भी काफी मात्रा में काई सिल्ट जमी हुई है, जिसके कारण लोग यहां का पानी नहीं पीते।

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