ऐसे करता है नुकसान
टीबी, शरीर के जिस हिस्से में होती है, उस हिस्से की सेल्स नष्ट होने लगती हैं। मसलन फेफड़ों में टीबी है तो फेफड़ों को धीरे-धीरे बेकार कर देता है, यूट्रस में है तो बांझपन (इनफर्टिलिटी), हड्डी में है तो हड्डी को गला देती है, ब्रेन में है तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं और लिवर में है तो पेट में पानी भरने की समस्या होने लगती है।
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प्रमुख लक्षण
2 हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम आ रहा हो (कभी-कभार खून भी) भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना, सांस उखडऩा या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना, इनमें से कोई भी लक्षण हो सकता है।
यह बैक्टीरिया से होने वाला रोग है। इसलिए जिनकी इम्युनिटी कमजोर है और सीलन भरी जगहों पर रहने वालों में आशंका ज्यादा रहती है। क्योंकि बैक्टीरिया सीलन में तेजी से पनपते हैं। डायबिटीज के रोगी, धूम्रपान करने वालों में भी होने का खतरा अधिक रहता है।
सरकारी हॉस्पिटल में जांच व दवाइयां नि:शुल्क, इलाज लें
अगर दो सप्ताह से अधिक बलगम आ रहा है तो सरकारी हॉस्पिटल जाना चाहिए। वहां टीबी की नि:शुल्क जांच होती व दवाइयां भी मिलती हैं। बलगम की जांच होती है। जरूरत पडऩे पर डॉक्टर एक्सरे या फिर कुछ अन्य जांचें भी करवा सकते हैं। इसकी दवा थोड़ी लंबी चलती है। कई बार 3-9 माह तक लेनी पड़ सकती है। दवा से पाचन संबंधी हल्के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। इसमें ध्यान रखना होता है कि दवा बीच में न छोड़ें। इससे बीमारी के दोबारा होने की आशंका रहती है।
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इन बातों का ध्यान रखें
जिन्हें टीबी है, वे हाइ प्रोटीन डाइट जैसे अंडे, पनीर, दालें, अंकुरित अनाज ज्यादा लें। इससे तेजी से रिकवरी होती है। मास्क लगाकर और खुले व हवादार कमरे में रहें। एसी के इस्तेमाल से बचें। दवा डॉक्टरी सलाह से ही लें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
यह बीमारी केवल गरीबों को ही नहीं होती बल्कि कई बड़ी शख्सियतों को भी हो चुकी है। जो इलाज के बाद ठीक हो गए हैं। लोगों में भ्रम है कि प्रेग्रेंसी में टीबी होने पर दवा नहीं लेनी चाहिए जो बिल्कुल गलत है। इसमें भी इलाज लें।