यह सफेद चावल से अलग है। दरअसल ब्राउन राइस की बाहरी परत को उतारा नहीं जाता। इस वजह से इसमें पोषक तत्त्व साबुत अनाज के बराबर पाए जाते हैं। जबकि सफेद चावल की बाहरी परत यानी भूसा उतारकर प्रोसेसिंग की मदद से पॉलिश किया जाता है। ब्राउन राइस को पकने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। इसमें नॉन-बासमती फायदेमंद है। इसका ग्लाइसीमिक इंडेक्स भी कम होता है।
– इसमें फायबर अधिक होने से पेट भरा महसूस होता है और वजन नियंत्रित रहता है।
– हड्डियों में मैग्नीशियम की कमी को पूरा करता है।
– एंटीऑक्सीडेंट तत्त्वों से युक्तहोने के कारण यह तनाव और अन्य बीमारियों से बचाव करता है। साथ ही पेट संबंधी दिक्कतों से दूर रखता है।
– मधुमेह के रोगी भी इसे ले सकते हैं। यह रक्तमें शुगर व कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखता है।
नॉन-बासमती ब्राउन राइस बनाते समय इसका पानी न फेंके क्योंकि इसमें घुलनशील विटामिन-बी और खनिज लवण होते हैं। जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इन्हें किसी भी समय खाया जा सकता है।
नॉन-बासमती ब्राउन राइस का ग्लाइसीमिक इंडेक्स (जीआई) कम होता है। इस कारण यह पाचनतंत्र में धीरे-धीरे टूटता है, जिससे पेट भरा महसूस होता है। वजन नियंत्रित रखने के साथ यह मोटापे से होने वाली बीमारियों का खतरा कम करने में मददगार है।
इसमें फायबर, विटामिन, खनिज तत्त्वों के अलावा फाइटो कैमिकल और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर मात्रा में होते हैं। जो तनाव, डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोगों बचाते हैं।