अश्वगंधा क्वाथ का सेवन हर उम्र के लाेगाें काे शारीरिक व मानसिक लाभ पहुंचाता हैं। इसके नियमित सेवन से मधुमेह, क्षय, गठिया, दमा, स्वेत प्रदर समेत सभी शारीरिक व मानसिक कमजाेरी दूर हाेती हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और व्यक्ति काे स्वस्थ्य रखता है। इसके सेवन से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है क्योकि यह एंटी एजिंग है और इसके तत्व उत्तको के पुन: निर्माण में सहयोग करते है इसलिए जो व्यक्ति इसका सेवन करते है वे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जवान नजर आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार 48 ग्राम ( चार ताेला) जौकुट औषधि लेकर सोलह गुने ( करीब पौन लीटर ) पानी में धीमी आग पर तब तक उबाले जब तक पानी चौथार्इ ना रह जाए। हलका गरम रहने पर इस छान कर धीरे-धीरे पीएं। अाैषधी अाैर पानी के इस तरह तैयार किए गए मिश्रण को क्वाथ या काढ़ा कहते हैं।
अश्वगंधा—1/2 चम्मच, शतावर—1 चम्मच, विधारा—1 चम्मच, गोक्षरु—1 चम्मच, नागरमोथा—1 चम्मच, दशमूल—1/2 चम्मच, मुलहठी—1 चम्मच, विदारीकंद—2 चम्मच । क्वाथ बनाने की विधि
क्वाथ बनाने का सबसे सरल एवं अच्छा तरीका यही है कि निर्धारित मात्रा में क्वाथ घटकों के जौकुट (मोटा) पाउडर को रात में भिगो दिया जाए और सुबह मंद आग पर उबाला जाए। सुविधानुसार इसे सुबह भिगोया और दोपहर में उबाला या दोपहर में भिगोकर शाम को उबाला जा सकता है। काढ़े को उबालने से पहले उसे कम−से−कम 8−10 घंटे पहले भिगोकर रखने से वह अधिक गुणकारी हो जाता है। क्वाथ हमेशा धीमी आँच पर ही बनाना चाहिए। सामान्य नियम यह है कि क्वाथ की मात्रा यदि 10 ग्राम है तो उसको लगभग 300 मिलीलीटर शेष रह जाए तब छानकर पानी (क्वाथ) पी लेना चाहिए।
आयुर्वेदानुसार वयस्कों के लिए जौकुट पाउडर या चूर्ण चार तोला अर्थात् 48 ग्राम एवं बच्चाें के लिए 24 ग्राम निर्धारित है। क्वाथ सेवन का सही समय
क्वाथ पीने का सबसे सही समय भोजन पचने के बाद का है, यानि सुबह खाली पेट क्वाथ पीना अमृत के समान गुणकारी होता है। क्वाथ का स्वाद कड़वा होने पर उसमें शहद या मीठा मिलाकर भी पी सकते हैं,लेकिन बिना मीठे के क्वाथ पीना ज्यादा लाभकारी है। क्वाथ या काढ़ा जहाँ तक हो सके, हमेशा ताजा बनाकर ही पीना चाहिए। सुबह का बनाया हुआ क्वाथ शाम को एवं शाम का बनाया हुआ सुबह को लिया जा सकता है। यह अमृत के समान गुणकारी होता है। काढ़ा पीने के बाद एक घंटे तक पानी भी नहीं पीना चाहिए। जो लोग सही तरीके व नियमित रूप से क्वाथ का सेवन करते हैं वो कायाकल्प जैसे स्फूर्ति भरे जीवन का आनंद उठाते हैं।
एक बार तैयार किए हुए क्वाथ को ठंडा होने के पश्चात दुबारा उसे गरम करके नहीं पीना चाहिए। एक बार उबालने के बाद ठंडा किया हुआ क्वाथ दोबारा उबालने पर जहर के सामान हो जाता है। गर्मियों में अधिक समय तक क्वाथ रखा रहने से वह खट्टा हो जाता है, अतः इस तरह के क्वाथ को नहीं पीना चाहिए। इसी तरह जला हुआ, काला, नीला, लाल, झागदार, कच्चा एवं दुर्गंधयुक्त क्वाथ भी नहीं पीना चाहिए।