धौलपुर. राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में प्रथम फेज के दौरान तैयार हुए आकादमिक भवन, छात्र एवं छात्रा हॉस्टल, मैस ब्लॉक का कॉलेज प्रशासन उपयोग कर रहा है, लेकिन रेजीडेंट हॉस्टल और नर्स हॉस्टल का अभी तक हैण्डओवर नहीं लिया गया है। जिस कारण खाली भवनों में आसमाजिक तत्वों का जमावड़े के साथ चोरी के मामले भी सामने आ रहे हैं। रेजीडेंट डॉक्टर भी किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं।
प्रथम फेज के दौरान रेजीडेंट हॉस्टल और नर्स हॉस्टल कम्पलीट हुए एक साल का वक्त बीत चुका है। इन आवासों का निर्माण आरएसआरडीसी कंपनी ने करवाया है। आवासों की कम्पलीट होने और हैण्डओवर करने की सूचना कंपनी ने एक साल में तीन बार लिखित लेटर के जरिए कॉलेज प्रबंधक तक पहुंचा दी गई। लेकिन फिर भी अभी तक इन आवासों का कॉलेज प्रबंधक हैण्डओवर नहीं कर रहा है। जिस कारण इन आवासों में आसमाजक तत्वों का जमावड़ा बढ़ रहा है। कई बार यहां इलेक्ट्रिकल उपकरणों की चोरी तक हो चुकी है। तो वहीं रेजीडेंट डॉक्टर किराए के मकानों में रह रहे हैं। जिन्हें जिला अस्पताल आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि कॉलेज प्रबंधक का कहना है कि अभी तक इन हॉस्टलों का कार्य पूरा नहीं हुआ है। कई जगह लाइट फिटिंग की व्यवस्था अधर में है।
खाली हॉस्टलों से हो चुकी हैं चोरियां जब इस मामले में आरएसआरडीसी कंपनी के ठेकेदार मनीश सिंघल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रथम फेज के दौरान रेजीडेंट हॉस्टल और नर्स हॉस्टल का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है। कॉलेज प्रशासन के हैण्डओवर न करने के कारण इन आवासों में से आए दिन चोरी होती हैं। चोर 15 लाख रुपए कीमती बिजली के तारों और उपकरणों तक को खोल ले गए हैं। जिसकी शिकायत हाउसिंग बोर्ड चौकी में दर्ज कराई गई थी। भवनों के हैण्डओवर के संदर्भ में पहला लेटर 14 अगस्त 203, दूसरा 4 अक्टूबर 2023 और तीसरा लेटर 5 नवम्बर 2024 को कॉलेज प्रबंधक को सौंपा गया है।
सरकार को प्रति रेजीडेंट डॉक्टर 20 हजार का नुकसान रेजीडेंट हॉस्टल का उपयोग न लेने और डॉक्टरों को हॉस्टल में जगह न देने से राज्य सरकार को प्रति रेजीडेंट डॉक्टर 20 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है। क्योंकि जिला चिकित्सालय में संचालित एनबीईएमएस पीजी डिप्लोमा कोर्स के छात्रों से प्रतिवर्ष 1,25000 का शुल्क लिया जाता है। जिसमें से 20 हजार रुपए आवास शुल्क के नाम पर लिए जाते हैं। अब जब रेजीडेंट डॉक्टरों को रहने के लिए हॉस्टल नहीं मिला है तो उनके आवास शुल्क के 20 हजार रुपए की राशि उन्हें वापस की जा रही है। जिस कारण राज्य सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
रेजीडेंट हॉस्टल और नर्सिंग हॉस्टल का निर्माण कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है। अंदर लाइट लगा दी गईं हैं लेकिन बाहर अभी भी अंधेरा है। रास्ते को भी अभी बनाया गया है। अगर कंपनी ने हॉस्टलों को हैण्डओवर करने के लिए लेटर जारी किया है तो मैं उसे दिखवाता हूं। और हॉस्टलों का विजट कर जल्द ही उनकी स्थिति का आकलन करता हूं।
दीपक दुबे, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज