लगातार चढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ.
पिछले एक पखवाड़े से हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों की मात्रा दोगुनी से अधिक हो गई है। जो बढ़ती ठंडक की नमी और बढ़ते धुंए के साथ ओर भी बढ़ते जाएंगे। इन हालात में लोगों की सांस में घुटन भी बढ़ेगी। अस्थमा व अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए जीवन बेहद कठिन हो जाएगा। स्वस्थ व्यक्तियों की सांसों पर भी खतरा बढ़ता ही चला जाएगा, लेकिन यह राजाखेड़ा है, यहां जनता की सांसों की रखवाली की जिम्मेदारी खुद जनता की है। ये आम और कमजोर तबके के लोगों का शहर है। दिल्ली का लुटियन जोन नहीं, जो प्रदूषण बढऩे से सरकारों को खतरा होने लगे। बल्कि यहां तक तो सरकारों की नजर भी नहीं पहुंच पाती।
अंधेर नगरी चौपट राजा, किसी को हमारी पीड़ा की फिक्र नहींहै। सुबह छतों पर काली परत प्रदूषण के चलते जम जाती है। ये तो दिख जाती है, लेकिन जो परत फेफड़ों में जम रही है, वह लोगों की जान ले लेगी।
प्रतिभा गृहिणी, राजाखेड़ा।
अधिकांश भट्टा मालिकों ने तो आगरा की पॉश कॉलोनियों में अपने घर बना रखे है, क्योंकि वे अपने परिवारों को इस खतरनाक माहौल में नहीं रहने देना चाहते। लेकिन यहां लाखों लोगों की जान का खतरा बढ़ता जा रहा है। उसका जिम्मेदार कौन होगा।
प्रमोद नागरिक, राजाखेड़ा
इनका कहना है
हम नहीं चाहते कि भट्टे बन्द हों। यह रोजगार का बड़ा माध्यम है। बस इतना चाहते है कि मुनाफे के साथ जनता की सेहत का ध्यान रखें। न्यायालय के निर्देशों का पालन करें, जिससे प्रदूषण पर लगाम लग जाए, क्योंकि ये बन्द हुए तो बाजारों में पूंजी प्रवाह रुक जाएगा।