साथ ही दोनों पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। सजा सुनाने के बाद पुलिस दोनों आरोपियों को जिला जेल ले जाया गया। मृतक के भाई ने कराया मामला दर्ज सदर थाने में 27 दिसंबर, 2012 को मृतक नरेश के भाई थानसिंह ने केस दर्ज कराया था। इसमें बताया कि वह तथा नरेश के दो साथी उसे खेत स्थित बोरिंग पर ले गए। गोलियों की आवाज सुनकर वह बोङ्क्षरग की तरफ गया तो दोनों व्यक्ति पिस्टल तथा रिवाल्वर से गोली चला रहे थे, जो उसके भाई को लगी।
नौ अनुसंधान अधिकारी -प्रकरण में नौ अधिकारियों ने अनुसंधान किया। इस दौरान उपनिरीक्षक से लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों ने मामले की जांच की। जांच के दौरान ही आरोपियों का खुलासा हुआ था।
-इसमें शूटर सत्येन्द्रसिंह पुत्र जगतसिंह बुलंदशहर उत्तरप्रदेश को जरिए प्रोडेक्शन वारंट धौलपुर जेल से 22 अप्रेल 2014 को गिरफ्तार किया गया था। -विधायक कुशवाह 13 अक्टूबर, 2014 को जांच अधिकारी सरिता सिंह के समक्ष जयपुर में पेश हुए थे, जहां उन्होंने सरेंडर किया था। तभी से दोनों न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं।
-विधायक को पंद्रह दिन की अंतरिम जमानत मिली थी। -हालांकि आरोपी रोबिन सिंह पुत्र सुरेश निवासी बुलंदशहर, शिवराम कुशवाह तथा जितेंद्र उर्फ जीतू निवासी जमालपुर अभी फरार चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निस्तारण के निर्देश
गौरतलब है कि विधायक कुशवाह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सुनवाई जल्द करने मांग की थी। इस पर न्यायालय ने फरवरी, 2016 में छह माह में मामले का निस्तारण करने के निर्देश दिए थे।
निर्णय से मिला न्याय नरेश के पिता मेघसिंह तथा भाई थानसिंह का कहना है कि अदालत के फैसले से वे संतुष्ट हैं। प्रभावशाली तथा धनी व्यक्ति के सामने केस लडऩा ही उनके लिए बड़ी बात थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार कोर्ट में अपना पक्ष रखते रहे। इससे हमें न्याय मिला है।
यह था आरोप विधायक कुशवाह पर अपनी बहिन के प्रेम प्रसंग के चलते नरेश कुशवाह की हत्या कराने का आरोप था। 319 पेज का फैसला प्रकरण में 319 पेज का निर्णय है। कोर्ट में 43 लोगों के बयान हुए थे।