script‘लाड़ो’ की मुस्कान धो रही लिंगानुपात का कलंक | 'Laado's' smile is washing away the stigma of gender ratio | Patrika News
धौलपुर

‘लाड़ो’ की मुस्कान धो रही लिंगानुपात का कलंक

राज्य सरकार के सार्थक प्रयास और सामाजिक गतिविधियों का परिणाम धौलपुर जिले में दिखने लगा है। पिछले कुछ वर्षों से कम होते और बढ़ते बाल लिंगानुपात के आंकड़े के बीच इस वर्ष 18 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 942 पर पहुंच चुका है।

धौलपुरOct 25, 2024 / 06:25 pm

Naresh

‘लाड़ो’ की मुस्कान धो रही लिंगानुपात का कलंक The stigma of gender ratio is washing away the smile of 'lads'
– बाल लिंगानुपात में पिछड़ते धौलपुर जिले की बदल रही तस्वीर

-18 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 942 हुआ लिंगानुपात

– राज्य सरकार और सामाजिक संस्थाओं के प्रयास का दिख रहा असर

धौलपुर. राज्य सरकार के सार्थक प्रयास और सामाजिक गतिविधियों का परिणाम धौलपुर जिले में दिखने लगा है। पिछले कुछ वर्षों से कम होते और बढ़ते बाल लिंगानुपात के आंकड़े के बीच इस वर्ष 18 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 942 पर पहुंच चुका है। जो कि धौलपुर के पिछड़ते बाल लिंगानुपात मामले में चमकदार तस्वीर को पेश करता है। लिंगानुपात का अर्थ प्रति 1000 बच्चों पर बच्चियोंं की संख्या है। यह अनुपात 1000 बच्चों में बच्चियों की संख्या बताता है।
कभी बाल लिंगानुपात के मामले में धौलपुर प्रदेश में फिसड्डी जिला होने का तमगा प्राप्त किए हुए था। लेकिन आज तमाम प्रयासों के बाद लिंगानुपात में नई इबारत लिखी जा रही है। 2015-16 में जिले में बाल लिंगानुपात का आंकड़ा 924 था। जिसके दस बाद से कुछ साल छोडकऱ हर साल आंकड़ों में वृद्धि देखी गई है। 2019-20 में 937 था तो अगले साल यह बढकऱ 944 हो गया। 2021-22 में 8 अंकों की गिरावट के साथ लिंगानुपात 932 पर आ गया। तो अगले वर्ष यानी 2022-23 में 16 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ आंकड़ा 948 पर पहुंच गया। 2023-24 में एक बार फिर लिंगानुपात गिरकर 939 रह गया। तो 2024-25 में फिर लिंगानुपात बढकऱ 942 पर पहुंच गया।
एक तस्वीर यह भी थी धौलपुर की

लिंगानुपात के मामले धौलपुर जिला फिसड्डी साबित हुआ है। 2011 की जनगणना के मुताबिक जिले में 1000 पुरुषों पर मात्र 846 महिलाएं थीं। तो वहीं जिले में 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों की जनसंख्या 217613 थी जो कुल जनसंख्या का 18 प्रतिशत है। 0-6 वर्ष की आयु के बीच 117198 लडक़े और 100415 लड़किया।
लडक़ा और लडक़ी में नहीं कोई भेद

एक ओर जहां हिन्दुओं में लडक़ी को घर की लक्ष्मी और देवी वहीं मुस्लिमों में बेटियों को नेमत माना है। भारतीय समाज में बेटा-बेटी में फर्क करने की मानसिकता में बदलाव आने और लड़कियों की दशा और दिशा सुधरने और राज्य सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, पीसीपीएनडीटी अधिनियम के सख्ती से पालना, कन्या भू्रण लिंग परिक्षण के विरुद्ध जागरूकता हेतु मुखबिर योजना आदि कई महत्वपूर्ण अभियान चलाए जाने से बाल लिंगानुपात में वृद्धि हुई है।
इन योजनाओं का मिला सहारासरकार के बेटी बचाओ, बेटी पाढ़ाओ, लाडली बेटी योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, नारी सशक्तिकरण की दिशा में बहुत अच्छे प्रयास बाल लिंगानुपात वृद्धि के मामलों में मील का पत्थर साबित हुए। अब सामाजिक सरोकार विचारों में परिवर्तन आने से और शिक्षा के प्रति जागरूक होने के कारण लिंगानुपात में इजाफा दिख रहा है।लिंगानुपात के आंकड़े
वर्ष लिंगानुपात

2019-20 937

2020-21 944

2021-22 932

2022-23 948

2023-24 939

2024-25 942

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