जलभराव को लेकर शहरी सरकार के साथ अन्य जिम्मेदार एजेंसियां भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने अतिक्रमणों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। आपको बता दें कि तहसीलदार धौलपुर और नायब तहसीलदार कोर्ट में जलबहाव क्षेत्रों के करीब 84 प्रकरणों में काफी समय पहले निर्णय दे चुकी है। इन्होंने उक्त केसों में अतिक्रमण माना था लेकिन अभी तक इन अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। ये तो वो मामले हैं जिसमें केस दर्ज हुए थे लेकिन अतिक्रमण करने के मामलों की निष्पक्ष तरीके से जांच हो तो ढेरों और प्रकरण आएंगे।
बता दें कि जिला मुख्यालय धौलपुर पर नगर परिषद के क्षेत्राधिकार की जलबहाव एवं भराव क्षेत्र की भूमियों पर चिह्नित अतिक्रमण जिनमें राज्य सरकार की ओर से तहसीलदार धौलपुर एवं नायब तहसीलदार धौलपुर न्यायालय में दर्ज कराए गए अतिक्रमणों में सरकार के पक्ष में निर्णय पारित होने के बावजूद 84 अवैध अतिक्रमणों को बेदखल किए जाने के निर्णयों की पालना अभी तक नहीं हो पाई है। कार्रवाई नहीं करने से राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से 2 अगस्त 2014 को पारित अब्दुल रहमान बनाम राजस्थान सरकार केस में दिए निर्णय की अवमानना की जा रही है। वहीं, सिंचाई विभाग ने हुण्डावाल रोड पर कुछ मकानों पर नोटिस चस्पा कर लाल निशान लगाए हैं। जिससे स्थानीय लोगों में हडक़ंप मच गया।
कब-कब दर्ज हुए थे केस जलबहाव और भराव क्षेत्र में गैर मुमनिक नाला, पोखर और गैर मुमकिन खड्डा पर अतिक्रमण करने पर अतिक्रमियों के खिलाफ तहसीलदार धौलपुर के न्यायालय में सरकार की ओर से अतिक्रमियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए गए थे। जिसमें साल 2021 में एक, 2022 में 7, 2023 में 12 और साल 2024 में 6 मुकदमे शामिल थे। इन सभी में अतिक्रमण बेदखल करने का निर्णय हुआ था लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं हुई। इसी तरह नायब तहसीलदार धौलपुर कोर्ट में साल 2021 में 7, 2022 में 16, 2023 में 17 और 2024 में 18 मुकदमे दर्ज हुए थे। इसमें भी बेदखल का निर्णय हुआ था।
अब जल संसाधान विभाग ने पैमाइश को लेकर लिखा पत्र गत दिनों पंचायत समिति सभागार में जनसुनवाई के दौरान जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी के जल संसाधन विभाग के अभियंता को नहर पर हो रहे अतिक्रमण को नहीं हटाने के मामले में लगाई फटकार के बाद विभाग हरकत में है। अब जल संसाधन खण्ड धौलपुर के अधिशासी अभियंता की ओर से तहसीलदार धौलपुर 18 अक्टूबर को पत्र लिखा है। इसमें ग्राम महमदपुर में खसरा नम्बर 716, 718 व 921 में सिंचाई विभाग की उर्मिला सागर बांध की मुख्य नहर निकलना बताया। पत्र में कहा कि यहां नहर की जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। विभाग ने उक्त खसरा नम्बरों की पैमाइश कराकर सीमाज्ञान कराने के लिए कहा है। जिससे अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
अतिक्रमण से कहीं 15 तो कहीं 40 फीट रह गई नहर उधर, लवानियां मैरिज होम के सामने से मुख्य नहर प्रारभ हो रही है। जो हुण्डावाल रोड के समान्तर होते हुए सहमती नगर, पुष्पाजंलि विहार एवं सुरजीत नगर होते हुए आगे प्यारे का अड्डा छोटी रेलवे लाइन की जाती है। यहां पर सीमाज्ञान के दौरान मालूम हुआ कि उक्त माइनर नहर की चौड़ाई कहीं 40, 30, 22 और कहीं 15 फीट ही रह गई है। टीम ने यहां अतिक्रमण को सूचीबद्ध किया है।
पहले के 66 अतिक्रमणों पर अभी तक कार्रवाई नहीं बता दें कि तत्कालीन जिला कलक्टर ने 23 जनवरी 2018 को जलबहाव क्षेत्र पर हो रहे अतिक्रमण को चिह्नित करने के आदेश दिए थे। जिस पर नगर परिषद और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने सर्वे करते हुए 66 अतिक्रमणों को चिह्नित किया था लेकिन अभी तक इन पर कार्रवाई नहीं हुई। अब जल संसाधन विभाग ने उसी प्रक्रिया को लेकर वापस पैमाइश कराने के लिए तहसीलदार को पत्र लिखा है। जिम्मेदार विभाग केवल पत्र एक-दूसरे को पत्र लिख रहे हंै लेकिन कार्रवाई के नाम पर शून्य हैं।
मकानों पर लगाए लाल निशान उधर, सिंचाई विभाग ने हुण्डावाल नगर समेत अन्य कुछ स्थानों पर नहर पर हुए अतिक्रमण को लेकर मकानों पर लाल निशान लगाए हैं। साथ ही मकानों पर अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस चस्पा किए हैं। नोटिस में अतिक्रमण नहीं हटाने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। नोटिस चस्पा होने से स्थानीय लोगों में हडक़ंप मच गया।