15 अगस्त को रक्षाबंधन : इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार
कहा जाता है कि तंत्राधिपति भगवान महाकाल शिव के उपासक भारत भूमि में केवल चार स्थानों पर ही विशेष साधना करते हैं। इन चार स्थानों के अलावा ये शिव के उपासक माता आदिशक्ति के शक्ति बगलामुखी , काली और भैरव के मुख्य स्थानों के पास भी साधना कर अनेक सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
अगस्त 2019 के व्रत, पर्व और त्यौहार
1- तारापीठ- कोलकाता की “तारापीठ धाम” की खासियत यहां का महाश्मशान है। वीरभूम की तारापीठ (शक्तिपीठ) तंत्र साधना का मुख्य तीर्थ कहा जाता है। यहां हजारों की संख्या में अघोर तांत्रिक साधना करते हैं। कहा जाता है कि जब तक तंत्र साधक यहां स्थित श्मशान में हवन नहीं करते उनकी साधना पूरी नहीं मानी जाती। कालीघाट को बड़े-बड़े तांत्रिकों का मुख्य गढ़ माना जाता है। यहां की गई साधना कभी भी अधूरी नहीं रहती है।
2- कामाख्या पीठ- असम राज्य के गुवाहाटी में स्थित “मां कामाख्या पीठ” भारत का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, प्राचीनकाल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र-सिद्धि का सर्वोच्च स्थल माना जाता है। कालिका पुराण तथा देवीपुराण में ‘कामाख्या शक्तिपीठ’ को सर्वोत्तम कहा गया है और यहां भी भारी संख्या में तांत्रिक एवं साधारण लोग भी साधना करके अपनी मनोकामना पूरी करती है।
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3- रजरप्पा शक्तिपीठ- रजरप्पा में छिन्नमस्ता देवी का स्थान है। रजरप्पा की छिन्नमस्ता को 52 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है, लेकिन जानकारों के अनुसार, छिन्नमस्ता 10 महाविद्याओं में एक महादेवी है। ऐसी मान्यता है कि यहां साधना करने से एक साथ सैकड़ों कामना पूरी होने लगती है।
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4- चक्रतीर्थ- बाबा महाकाल की नगरी मध्यप्रदेश के उज्जैन में चक्रतीर्थ नामक स्थान और गढ़कालिका का स्थान तंत्र साधना का गढ़ माना जाता है। मान्यता है कि यहां साधना करने से साधक की साधना शीघ्र फलित हो जाती है। सावन मास में यहां अनेक साधक साधना करते देखे जा सकते हैं। इन स्थानों के अलावा उज्जैन में काल भैरव और विक्रांत भैरव भी तंत्र साधना, मंत्र सिद्धि के लिए मुख्य स्थान माने जाते हैं।
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